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विषयानुक्रम
२७.
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१०.
छेदसूत्रकार प्रथम भद्रबाहु को नमन । चौथी दशा : गणि-संपदा द्रव्य तथा भावदशा का उल्लेख ।।
द्रव्यगणी तथा भावगणी का स्वरूप । आयु के आधार पर जीव की दस २६.
ज्ञात शब्द के एकार्थक तथा आचार्य के अवस्थाएं।
ज्ञानी होने का निर्देश । अध्ययन दशा के कथन की प्रतिज्ञा ।
आचार्य के 'आचारधर' होने का उल्लेख । विविध प्रकार से दशा का उल्लेख ।
२८. गणि/आचार्य की विशेषता । आयारदशा का स्थविरों द्वारा निर्वृहण का ।
२९. संपदा शब्द के निक्षेप। संकेत ।
३०,३१. आचार्य को हाथी की उपमा तथा उसका प्रस्तुत ग्रंथ के अध्ययनों के कथन की प्रतिज्ञा।
उपसंहार। दश अध्ययनों के नाम ।
पांचवी दशा : चित्तसमाधिस्थान पहली दशा : असमाधिस्थान
३२. चित्त तथा समाधि शब्द के निक्षेप । द्रव्य तथा भाव-समाधि का स्वरूप ।
द्रव्य चित्त का स्वरूप । स्थान शब्द के पन्द्रह निक्षेप।
३३११. भाव चित्त का स्वरूप । बीस असमाधिस्थान के अतिरिक्त भी ३३१२.
द्रव्य तथा भाव समाधि का स्वरूप । असमाधि स्थानों का उल्लेख ।
३४. चित्त समाधि के स्थानों में यतना करने का दूसरी दशा : सबल दोष
निर्देश । १२. द्रव्य तथा भाव सबल का स्वरूप ।
छठी दशा : उपासक-प्रतिमा १३. सबल दोष की मर्यादा ।
३५. उपासकों के प्रकार तथा द्रव्य और तदर्थक १४. घड़े एवं वस्त्र की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं
उपासक का स्वरूप । द्वारा विराधना का वर्णन ।
मोह उपासक का स्वरूप । तीसरी दशा : आशातना
भाव उपासक का स्वरूप । १५. आशातना के दो भेदों का उल्लेख ।
केवली द्वारा अगार और अनगार धर्म का लाभ आसादना का स्वरूप ।
उपदेश।
उपासक और श्रावक में अन्तर ।
३९,४०. द्रव्य आदि आसादना का उल्लेख ।
४१. प्रतिमाओं के भेद । छठे और आठवें पूर्व में 'आ' उपसर्ग के ।
उपासक तथा भिक्ष प्रतिमाओं की संख्या वर्णन का उल्लेख तथा आशातना का
का उल्लेख। निरुक्त।
गहस्थ धर्म तथा साधु धर्म का आशातना का स्वरूप ।।
सुखावबोध । उत्कर्ष (अभिमान) के परित्याग का ४४. साधुओं को तप, संयम में उद्यम करने का निर्देश ।
निर्देश। भारीकर्मा जीव का स्वरूप।
४४/१. उपासक की बारह प्रतिमाओं का आशातना किसकी ?
नामोल्लेख । हलुकर्मी जीव का स्वरूप ।
सातवीं दशा : भिक्ष-प्रतिमा २४. गुरु की आशातना से ज्ञान, दर्शन आदि ४५. भिक्षु, उपधान और प्रतिमा शब्द के का नाश तथा विराधना ।
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४२.
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