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परिशिष्ट ७ : परिभाषाएं
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दव्वपूया-द्रव्यपूजा। ईसर-तलवर माडंबियाण सिव-इंद-खंद-विण्हूणं ।
___जा किर कीरइ पूया, सा पूया दव्वतो होई॥ ईश्वर (धनपति), तलवर (राजा आदि), माडम्बिक (जलदुर्ग का अधिकारी), शिव, इन्द्र,
स्कन्ध, विष्णु आदि की जो पूजा की जाती है, वह द्रव्यपूजा कहलाती है। (उनि.३०८) दव्वभिक्खु-द्रव्यभिक्षु। गिहिणो विसयारंभग, उज्जुप्पण्णं जणं विमग्गंता।
जीवणिय दीण-किविणा, ते विजा दव्वभिक्खु ति॥ करणतिए जोगतिए, सावजे आयहेतु पर उभए।
अट्ठाऽणट्ठपवत्ते, ते विजा दवभिक्खु त्ति ॥ जो गृहस्थ का जीवन-यापन करते हुए विषयों में आसक्त रहते हैं, ऋजुप्रज्ञ (भोले) व्यक्तियों के पास याचना करते हैं, वे द्रव्यभिक्षु हैं तथा जो आजीविका के निमित्त दीन-कृपण अर्थात् कार्पटिक आदि भिक्षा के लिए घूमते हैं, वे भी द्रव्य भिक्षु हैं। जो तीन करण तीन योग से अपने लिए, दूसरों के लिए अथवा दोनों के लिए प्रयोजनवश अथवा अप्रयोजनवश पाप कार्यों में प्रवृत्त रहते हैं, वे द्रव्यभिक्षु हैं।
(दर्शान.३१२, ३१५) दिटुंत-दृष्टान्त । दृष्टमर्थमन्तं नयतीति दृष्टान्तः।
जो दृष्ट अर्थ को अंत तक ले जाता है, वह दृष्टान्त है। (दशहाटी. प. ७५) दिटुंतिय-दान्तिक। निश्चयेन दर्श्यतेऽनेन दान्तिकः।
जो निश्चय से दिखाता है, निरूपित करता है, वह दार्टान्तिक है। (दशहाटी.प.३४) दुम-द्रुम । द्रूः-साहा ताओ जेसिं विज्जति ते दुमा।
द्रु का अर्थ है शाखा। जो शाखायुक्त होते हैं, वे द्रुम कहलाते हैं। (दशअचू.पृ. ७) • भूमीय आगासे य दोसु माया दुमा। जो भूमि और आकाश दोनों में समाते हैं, वे द्रुम हैं।
(दशअचू. पृ. ७) देव-देव। दीवं आगासं तम्मि आगासे जे वसंति ते देवा। जो दिव-आकाश में निवास करते हैं, वे देव हैं।
(दशजिचू. पृ. १५) दोगुंदग-क्रीडाप्रधान देव। नित्यं भोगपरायणा दोगुंदगा इति भण्णति। (उशांटी.प. ४५१)
जो सदैव भोग में रत रहते हैं, वे दोगुंदक देव कहलाते हैं। धम्म-धर्म। धारेति दुग्गतिमहापडणे पतंतमिति धम्मो। दुर्गति के महान् गढ़े में गिरते हुए को जो धारण कर लेता है, बचा लेता है, वह धर्म है।
(दशअचू. पृ. ९) धम्मकहा-धर्मकथा। धम्मकहा णाम जो अहिंसाइलक्खणं सव्वण्णुपणीयं धम्मं अणुओगं
वा कहेइ एसा धम्मकहा। जिसमें सर्वज्ञ द्वारा प्रणीत अहिंसा धर्म का प्रतिपादन हो अथवा उसकी विशेष व्याख्या हो, वह धर्मकथा है।
(दशहाटी.प. ३२) धम्मत्थकाम-धर्मार्थकाम। धम्मस्स अत्थं कामयंतीति धम्मत्थकामा। धर्म के अर्थ की कामना करने वाले धमार्थकाम हैं।
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