Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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६९८
नियुक्तिपंचक
पुसमित्त (पुष्यमित्र) उनि.१७२/१० दीवग (दीपक)
उनि.१७२/१३ बोडियसिवभूति (बोटिकशिवभूति) उनि.१७२। पोलास (पोलास)
उनि.१७२/४ १५ मणोरह (मनोरथ)
सूनि.२०५ भद्दगुत्त (भद्रगुप्त)
उनि.९८
उपकरण भद्दबाहु (भद्रबाहु)
दनि.१,९२ आसंदी (कुर्सी)
आनि.२६३ मंगु (मंगु)
दनि.१०४, ११२ कंडु (पात्र)
सूनि ७८ मणगपियर (शय्यंभव)
दशनि.१३ छत्त (छत्र)
सूनि.१०८ महगिरि (महागिरि) उनि.१७२/५, ६ तालवंट (तालवंट, पंखा) आनि.१७० रक्खियखमण (आर्यरक्षित) उनि.९८, १७२/१० नंगल (लांगल)
दशनि.५७ राध (राध)
उनि.९९
नालिया (समय जानने का यंत्र) दशनि.५८ राहक्खमण (राधाचार्य)
उनि.९९ पयण (कडाही)
सूनि.७८ वइर (वज्र)
आनि.२८३ पलियंक (पलंग)
दशनि.२४४ वइरक्खमण (आर्य वज्र)
उनि.९८ मीरा (चूल्हा)
सूनि.७४ वसु (वसु)
उनि.१७२/३
लाउयपात (पात्रविशेष) दनि.११८ सागरखमण (आर्य सागर) उनि.१२०
लोहि (पात्र विशेष)
सूनि.७८ सिरिगुत्त (श्रीगुप्त)
उनि.१७२/७ वियण (व्यजन, पंखा) आनि.१६९, १७० सीहगिरि (सिंहगिरि)
उनि.९८ सुंठय (पात्र विशेष)
सूनि.७४ सेजंभव (शय्यंभव) दशनि.११, १३, ३४९
हल (हल)
आनि.९५ सोमभूइ (सोमभूति) उनि.१०९
कथा आभूषण
अक्खेवणी (आक्षेपणी) दशनि.१६६-१६८, आमेलय (शिर का आभूषण) उनि.१५२
१७७,१७८ कडग (हाथ का आभूषण)
उनि.१३९
निव्वेयणी (निर्वेदनी) दशनि.१७४, १७५ कुंडल (कुण्डल)
उनि.१३९ विक्खेवणी (विक्षेपणी) दशनि.१६६, १७०, मुत्तावलि (मोतियों की माला) आनि.४६
१७७, १७८ वलय (वलय)
उनि.२५८ संवेयणी (संवेजनी) दशनि.१७२, १७३, आहार
करण ओय (ओज) सूनि.१७१ किंत्थुग्घ (किंस्तुघ्)
सूनि.१२ कावलिक (कावलिक)
सूनि.१७२ किंसुग्घ (किंस्तुध्न)
उनि.१९१ पक्खेव (प्रक्षेप)
सूनि.१७१
__ कोलव (कोलव) उनि.१९०, सूनि.११ लोम (लोम)
सूनि.१७१ गरादि (गरादि) उनि.१९०, सूनि.११ उद्यान एवं वन
चउप्पय (चतुष्पद) उनि.१९१, सूनि.१२ केसर (केसर)
उनि.३८९, ३९० थीविलोयण (स्त्रीविलोकन)उनि.१९०, सूनि.११ गंडितिंदुगवण (गंडितिंदुकवन) उनि.३१७, ३२० नाग (नाग) उनि.१९१, सूनि.१२ तिंदुग (तिन्दुक)उनि.१७०, १७२/२, ३१७, ३२१ बव (बव)
उनि.१९०, सूनि.११ तंबवण (तुंबवन)
उनि.२८८ बालव (बालव) उनि.१९०, सूनि.११
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