Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 840
________________ परिशिष्ट १३ : वर्गीकृत विशेष नामानुक्रम कुरुमती (कुरुमती) उनि.३३५, ३५२ कुसकुंडी (कुसकुंडी) उनि.३४३ गोदत्ता (गोदत्ता) उनि.३३५ चुलणि (चुलनी) उनि.३३० जसवई (यशोमती) उनि.३३२ दीवसिहा (दीपशिखा) उनि.३३३ देवी (देवी) उनि.३३२ धारिणी (धारिणी) उनि.११२ नागजसा (नागयशा) उनि.३३१ नागदत्ता (नागदत्ता) उनि.३३२ पतिगा (पतिका) उनि.३३४ पभावई (प्रभावती) उनि.९६, दनि.९६ पिंगला (पिंगला) उनि.३३३ पुत्थी (पुस्ती) उनि.३३३ पुरंदरजसा (पुरन्दरयशा) उनि.११२, ११३ भद्दा (भद्रा) उनि.३३१ मलयवती (मलयवती) उनि.३३४ मिगदेवी (मृगादेवी) उनि.४०२ मिगा (मृगादेवी) उनि.४०३ रयणवई (रत्नवती) उनि.३३२ वच्छी (वत्सी) उनि.३३२ वणराइ (वनराजि) उनि.३३४ वाणीरा (वानीरा) उनि.३३४ वासवदत्ता (वासवदत्ता) उनि.१४८ विजुमती (विद्युन्मती) उनि.३३१ विज्जुमाला (विद्युन्माला) उनि.३३१ सिला (शिला) उनि.३३२ सिवा (शिवा) उनि.४४० सुभद्दा (सुभद्रा) उनि.३१७ सोमा (सोमा) उनि.३३४ हरिएसा (हरिकेशा) उनि.३३५ रोग अच्छिवेयणा (अक्षिवेदना) उनि.८५ अभत्तछंद (अजीर्ण) उनि.८५ अवहेडग (अर्धशिरोरोग) उनि.१५० आमदोस (आमदोष) दशनि.३४१ कंडु (खाज) उनि.८५, १५० कास (खांसी) उनि.८५ कुच्छिवेयणा (कुक्षिवेदना) उनि.८५ चाउत्थिग (ज्वरविशेष) उनि.१५० जर (ज्वर) उनि.८५ तिमिर (आंख का रोग) उनि.१५० तेइज्जग (ज्वर विशेष) उनि.१५० मूसगावरद्ध (चूहे का काटा हुआ) उनि.१५० सप्पावरद्ध (सांप का काटा हुआ) उनि.१५० सास ( वास रोग) उनि.८५ सिरोरोग (शिरोरोग) उनि.१५० हिययसूल (हृदयशूल) उनि.१७२/४ लब्धि सव्वक्खरसन्निवाय (सर्वाक्षरसन्निपात)सूनि.१८९ वनस्पति अवय (अवक) आनि.१४१ उच्छु (इक्षु) दशनि.२७७ ओसिर (ओसीर) दशनि.१४७ कणगमूल (कनकमूल) उनि.१४९ कणियार (कनेर) दशनि.१३३ कत्थ (कत्थ) आनि.१४१ करमंदि (करमर्दी, गुल्मविशेष) उनि.४८६ किण्हय (किण्व) आनि.१४१ खइर (खदिर) आनि.२४० जमदग्गिजडा (जमदग्निजटा) उनि.१४६ तंबोल (तंबोल) आनि.२८७ तमालपत्र (तमालपत्र) उनि.१४७ तिणिस (तिनिस) दशनि.१३३ दक्खा (द्राक्षा) उनि.१५१ धायगी (धातकी) उनि.१५१ पणय (पनक) आनि.१४१ बिल्ल (बेल) उनि.१४० भाणिय (भाणिक) आनि.१४१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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