Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati
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७०४
नियुक्तिपंचक
निप्फाव (निष्पाव)
दशनि २३० मसूर (मसूर)
दशनि २३० मास (उड़द)
दशनि २२९ मुग्ग (मूंग)
दशनि २२९ रायमास (राजमाष)
दशनि २३० रालग (रालक)
दशनि २२९ वीहि (व्रीहि)
दशनि २२९ सट्ठीय (साठी चावल) दशनि २२९ सालि (शालि)
दशनि २२९ सिलिंद (मोठ)
दशनि २३० हरिमंथ (हरिमंथ)
दशनि २३० नदी एवं समुद्र गंगा (गंगा) उनि १२१, १२५, ४६२, ४६५ मतगंगा (मृतगंगा)
उनि ३१७ लवण (लवणसमुद्र)
आनि ५० निह्नव एवं निववाद अबद्धिग (अबद्धिकवाद) उनि १६७ अव्वत्तवाय (अव्यक्तवाद) उनि १६७, १६८ आसमित्त (अश्वमित्र) उनि १६८, १७२/५ गंग (गंग)
उनि १६९, १७२/६ गोट्ठमाहिल (गोष्ठामाहिल) उनि १६९ गोट्ठामाहिल (गोष्ठामाहिल) उनि १७२/१० छलुग (षडुलूक)
उनि १६९ जमालि (जमालि) उनि १६८, १७२/२,
सूनि १२५ जीवपदेस (जीवप्रादेशिकवाद) उनि १६८ तीसगुत्त (तिष्यगुप्त) उनि १६८, १७२/३ तेरासिय (त्रैराशिक)
उनि १६९ दोकिरिया (द्वैक्रियवाद) उनि १६९ बहुरय (बहुरत) उनि १६७, १६८, बोडियलिंग (बोटिकलिंग) उनि १७२/१५ समुच्छ (सामुच्छेदवाद) उनि १६७ सिवभूइ (शिवभूति) उनि १७२/१३, १४ सामुच्छेद (सामुच्छेदवाद) उनि १६८
परिव्राजक और संन्यासी गोसाल (गोशाल) सूनि १९१, १९९ चरक (चरक) दशनि १३४, सूनि ११२ तिदंडिय (त्रिदंडी) सूनि १९१, १९९ दीवायण (द्वीपायन)
दशनि ५२ पिंगल (पिंगल)
दशनि ७९ पोट्टसाल (पोट्टशाल) उनि १७२/७ बंभवती (ब्रह्मवादी)
उनि १९१ बंभी (ब्रह्मवादी)
सूनि १९९ भिक्खु (बौद्ध भिक्षु)
सूनि १९९ मरुग (मरुक)
दशनि ३०७/१ वारिभद्दग (वारिभद्रक, शौचवादी) सूनि ९० हत्थितावस (हस्तितापस) सूनि १९१
पर्वत अट्ठावय (अष्टापद)उनि २८०, आनि ३५४, सूनि ४१ इंदपद (इंद्रपद)
दनि ७७ उजिंत (उज्जयंत)
आनि ३५४ गंधारगिरि (गांधारगिरि)
दनि ९७ गयग्गपय (गजाग्रपद) आनि ३५४ मंदर (मंदर) दशनि ३३५, उनि २६३
आनि ४९, ३५३ महातव (महातप)
उनि १७२/६ मेरु (मेरु)
आनि ४९, ५० रहावत्तनग (रथावर्त)
आनि ३५४ वेभारगिरि (वैभारगिरि)
उनि ९२ वेयड्ड (वैताढ्य)
उनि २८२ सिद्धपव्वत (सिद्धपर्वत)
उनि २८२
। एवं ब्राह्मण इंददत्त (इन्द्रदत्त)
उनि ११९, २४६ कासव (काश्यप)
उनि २४६ जण्णदत्त (यज्ञदत्त)
उनि १०९ पालक्क (पालक)
उनि ११३ भिगु (भृगु)
उनि ३५९, ३६६ वररुई (वररुचि)
उनि १०१ सोमदत्त (सोमदत्त)
उनि १०९ सोमदेव (सोमदेव)
उनि १०९
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