Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 804
________________ परिशिष्ट ९ : उपमा और दृष्टान्त सउणी जह अंडगं पयत्तेणं । जह खलु मलिणं वत्थं, सुज्झइ उदगादिएहि दव्वेहिं । एवं ............. रुक्खस्स पव्वयस्स य जह अग्गाई तहेताई । सूत्रकृतांग नियुक्ति जध नाम मंडलग्गेण, सिरं छेत्तूण कस्सइ मणुस्सो । अच्छेज्ज पराहुत्तो, किं नाम ततो न घिप्पेज्जा ? ॥ जध वा विसगंडू, कोई घेत्तूण नाम तुहिक्को । अण्णेण अदीसंतो, किं नाम ततो न व मरेज्जा ? ॥ जह नाम सिरिघराओ, कोई रयणाणि नाम घेत्तूणं । अच्छेज्ज पराहुत्तो, किं नाम ततो न घेप्पेजा ॥ दशाश्रुतस्कन्ध निर्युक्ति जध गयकुलसंभूतो, गिरि-कंदर - कडग-विसम - दुग्गेसु । परिवहइ निययसरी रुग्गए अपरितंतो, दंते ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ६७३ (२८८) (३०२) (३०६) (५१) (५२) (५३) (३०) www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856