Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 818
________________ परिशिष्ट १२ : विशेष नामानुक्रम ६८७ चरक (परिव्राजक) दशनि.१३४, ३०७/१ जसवई (रानी) उनि.३३२ चरण (अवयव) सूनि.७३,७७ जसा (पुरोहित पत्नी) उनि. २४६ चरित्त (भावना) आनि.३५१ जावग (हेतु) दशनि.८३, ८४ चाउत्थिग (रोग) उनि. १५० जिणपडिमा (प्रतिमा) दनि.४१ चारित्तसमाहिपडिमा (प्रतिमा) दनि.४८ जियसत्तु (राजा) उनि.११२, ३४३ चारुदत्त (राजा) उनि.३३२ जीवपदेस (दर्शन) उनि.१६८ चित्त (मुनि) उनि. ३२२, ३२४, ३४७, ३३१ ।। जीहा (अवयव) दनि.११२ चित्तसंभूय (अध्ययन) उनि.३२४ ठाण (ग्रंथ) दनि.४७ चित्तसेणअ (राजा) उनि.३३१ ढंक (श्रमणोपासक) उनि.१७२/२ चुलणिदेवी (रानी) उनि.३३० ढंढ (मुनि) उनि. ११५ चूतरुक्ख (वृक्ष) उनि. २६८ णंदिसर (द्वीप) दनि.९५ चूयपादव (वृक्ष) उनि.३४९ णाया (ग्रंथ) दनि.५ छउमत्थ (मरण) उनि.२०६, २१७ तउय (पृथ्वीकाय) आनि.७३ छगल (तिर्यञ्च) उनि.१३८ तंब (पृथ्वीकाय) आनि.७३ छट्ठ पुव्व (ग्रन्थ) दनि. १८ तंबोल (ताम्बूल) आनि. २८७ छत्तय (उपकरण) दनि.१२० तंस (संस्थान) उनि.३८, ३९ छलूग (निह्नव) उनि.१६९ तगरा (नगरी) उनि.९३ जंघा (अवयव) सूनि. १६२,उनि. १८२/२ तज्जीवतस्सरीर (दर्शन) सूनि.२९ जंबु (आचार्य) सूनि. ८५ तब्भव (मरण) उनि.२०५, २१४, २१५ जंबुय (तिर्यञ्च) उनि.११६ तमा (दिशा) आनि.४३ जक्खहरिल (यक्ष) उनि.३३२ तमालपत्त (वनस्पति) उनि.१४७ जगदग्गिजडा (वनस्पति) उनि.१४६ तव (भावना) आनि. ३५१ जण्णदत्त (ब्राह्मण) उनि.१०९ ताल (वृक्ष) आनि.१३३ जमालि (निव) उनि.१६८, १७२/२, तालवंट (उपकरण) आनि.१७० सूनि. १२५ तावस (श्रेष्ठी) उनि.१०० जम्मा (दिशा) आनि.४३ तिंदुग (उद्यान) उनि.१७२/२,३१७,३२० जयघोष (मुनि) उनि.४५९, ४६१, ४६२, तिणिस (वनस्पति) दशनि. १३३, २८६ ४६५, ४७०, ४७४, ४७६ तित्तिरी (तिर्यञ्च) दशनि.८५ जर (रोग) उनि. ८५ तिपुडग (धान्य) दशनि. २३० जलकंत (मणि) आनि.७६ तिमिर (रोग) उनि. १५० जलूक (तिर्यञ्च) उनि. ४८७, दनि.१०८ तिल (धान्य) दशनि. २२९, उनि. ३५१, जलोय (तिर्यञ्च) दशनि. ३४ आनि.३४९ जव (धान्य) दशनि. २२९ तिलसक्कुलिया (खाद्यपदार्थ) आनि.१३२ जसभद्द (आचार्य) दशनि.३४९ तिसूल (शस्त्र) सूनि.७२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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