Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 826
________________ परिशिष्ट १२ : विशेष नामानुक्रम सबल (परमाधार्मिक देव) सूनि.६६ साल (राजकुमार) उनि.२७७ सभिक्खुय (अध्ययन) दशनि.१८ सालि (धान्य) दशनि.२२९ समकडग (नगर) उनि.३३६, ३३७ सालिभद्द (श्रेष्ठी) उनि.२४६ समाधि (अध्ययन) सूनि.१०३ सावत्थी (नगरी) उनि.११२, ११७, १७०, समाधिपडिमा (प्रतिमा) दनि.४६ १७२/१,२, २४६, ३४१, ३४५ समुच्छ (दर्शन) उनि.१६७ सावित्ती (दिशा) आनि.५७ समुद्दपाल (सार्थवाहपुत्र) उनि.४२८ सास (रोग) उनि.८५ समुद्दपालिज्ज (अध्ययन) उनि.४२४ सासग (पृथ्वीकाय) आनि.७४ समुद्दविजय (राजा) उनि.४४० सिंधुदत्त (वणिक्) उनि.३३४ समूसण (औषधि) उनि.१४९ सिंधुसेण (वणिक्) उनि.३३४ समोसरण (अध्ययन) सूनि. १२० सिंबलि (वृक्ष) सूनि.८१ सम्मत्तपरक्कम (अध्ययन) उनि.४९८ सिद्धपव्वत (पर्वत) उनि.२८२ सरल (वृक्ष) आनि.१३३ सियविया (नगरी) उनि.१७० सरस (वनस्पति) उनि.१४९ सिर (अवयव) सूनि.७३ सरिसव (वनस्पति) उनि.१४० सिरिगुत्त (आचार्य) उनि.१७२/७ सव्वक्खरसन्निवाइ (लब्धिधारी मुनि)उनि.३१० सिरिय (शकडाल का पुत्र) उनि.१०१ सव्वक्खरसन्निवाय (लब्धि) सूनि. १८९ सिरोरोग (रोग) उनि.१५० ससल्लमरण (मरण) उनि.२१२, २१३ सिला (रानी) उनि.३३२ सहस्सपाग (तैल) दनि.१०९ सिला (पृथ्वीकाय) आनि.७३ साएय (नगरी) उनि.३३६ सिलिंद (धान्य) दशनि.२३० साकेय (नगरी) उनि.१०८ सिव (देव) उनि.३०८ सागरखमण (आचार्य) उनि.१२० सिवदत्त (व्यक्ति) उनि.३४४ सागरचंद (मुनि) उनि.३२५ सिवभूइ (निह्नव) उनि.१७२/१३,१४ सागरदत्त (वणिक्) उनि.३३३ सिवा (रानी) उनि.४४० सागेत (नगरी) उनि.३२५ सीओसणिज्ज (अध्ययन) आनि.२११ साणधण (चांडाल जाति) उनि. ३१६ सीमंधर (राजा) उनि.३६६ साम (परमाधार्मिकदेव) सूनि.६६ सीवण (उपकरण) दशनि.३४१ सामइय (मुनि) सूनि.१९२ सीस (अवयव) उनि. १८२/१ सामाइय (ग्रन्थ) दशनि.११ सीसग (पृथ्वीकाय) आनि.७३ सामलि (पुष्प) उनि.१५२ सीह (तिर्यञ्च) दशनि.८९/३ सामाइयसमाहिपडिमा (प्रतिमा) दनि. ४८ . सीहगिरि (आचार्य) उनि.९८ सामुच्छेद (दर्शन) उनि.१६८ सीही (विद्या) उनि.१७२/९ सामुत्थाणी (दिशा) आनि.५७ सुंठय (पात्र) सूनि.७४ सामुद्दय (छंद) सूनि. १३९ सुग्गीव (नगरी) उनि.४०३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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