Book Title: Niryukti Panchak Part 3
Author(s): Bhadrabahuswami, Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 800
________________ परिशिष्ट ८ : सूक्त-सुभाषित ६६९ (१४०) (१६०) (१६४) (२४९) (३१९) (३४२) (३९५) (३९६) (४७१) (५२०) राईसरिसवमेत्ताणि, परछिद्दाणि पाससि। अप्पणो बिल्लमेत्ताणि, पासंतो वि न पाससि ॥ माणुस्स-खेत्त-जाती, कुल-रूवारोग्ग-आउयं बुद्धी। सवणोग्गह-सद्धा संजमो य लोगम्मि दुलहाई॥ न लभइ सुई हियकरिं संसारुत्तारिणिं जीवो। जहा लाभो तहा लोभो, लाभा लोभो पवड्ढति । दोमासकयं कजं, कोडीए वि न निट्ठियं ॥ भद्दगेणेव होयव्वं, पावति भद्दाणि भद्दओ। गहणं नदीकुडंगं गहणतरागाणि पुरिसहिययाणि ॥ ..........जलबुब्बुयसन्निभे य माणुस्से। किं हिंसाए पसज्जसि, जाणतो अप्पणो दुक्खं ॥ सव्वमिणं चइऊणं, अवस्सं जदा य होइ गंतव्वं । किं भोगेसु पसज्जसि, किंपागफलोवमनिभेसु॥ परमत्थदिवसारो, नेव य तुट्ठो न वि य रुट्ठो। जेसिं तु पमाएणं, गच्छइ कालो निरत्थओ धम्मे । ते संसारमणंतं, हिंडंति पमाददोसेणं ॥ आचारांग नियुक्ति अंगाणं किं सारो? आयारो। एगा मणुस्सजाई। सातं गवेसमाणा, परस्स दुक्खं उदीरंति । भावे य असंजमो सत्थं । कामनियत्तमई खलु, संसारा मुच्चए खिप्पं । जस्स कसाया वटुंति, मूलट्ठाणं तु संसारे। संसारस्स उ मूलं, कम्मं तस्स वि य होंति उ कसाया। माया मे त्ति पिया मे, भगिणि भाया य पुत्त दारा मे। अत्थम्मि चेव गिद्धा, जम्मणमरणाणि पावेंति। अभयकरो जीवाणं,सीयघरो संजमो भवति सीतो। अस्संजमो च उण्हो। डज्झति तिव्वकसाओ, सोगाभिभूओ उदिण्णवेदो य। कामा न सेवियव्वा। सुत्ता अमुणिओ सया, मुणिओ सुत्ता वि जागरा होति। न ह बालतवेण मोक्खो त्ति। (१६) (१९) (९४) (९६) (१७८) (१८६) (१९०) (१९६) (२०७) (२०७) (२०९) (२११) (२१२) (२१५) www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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