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नियुक्तिपंचक
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७०. द्रव्यपृथ्वी और भावपृथ्वी का स्वरूप । १०४. यथार्थ-बोध द्वारा पृथ्वीकाय की हिंसा से ७१. पृथ्वीकाय के भेद।
विरति । ७२. बादरपृथ्वी के श्लक्ष्ण और खर आदि दो १०५. अणगार की विशेषताएं । भेद ।
अपकाय के द्वार। ७३-७६. खर पृथ्वी के छत्तीस भेदों का नामोल्लेख । १०७. अप्काय जीवों के भेद । ७७,७८. वर्ण, गंध आदि के द्वारा पथ्वीकाय के १०८. बादर अपकाय के पांच भेद । अनेक भेद ।
अपकाय जीवों का परिमाण । सूक्ष्म और बादर पृथ्वीकाय के पर्याप्त और ११०. हाथी की उपमा द्वारा अपकाय में जीवत्वअपर्याप्त भेद ।
सिद्धि । ८०,८१. वक्ष और औषधि आदि के उदाहरण से
अपकाय के उपभोग के प्रकार । पृथ्वीकाय के नानात्व का निरूपण ।
११२. उपभोग के कारणों से अपकाय की हिंसा। ८२. पृथ्वीकाय जीवों की सूक्ष्मता का निरूपण । ११३. अप्काय जीवों के शस्त्र । सूक्ष्म पृथ्वीकाय के अस्तित्व को जिन-आज्ञा
११४. द्रव्यशस्त्र और भावशस्त्र । से स्वीकृत करने का उल्लेख ।
११५. पृथ्वीकाय की भांति अन्य द्वारों के विवेचन
का कथन । पृथ्वीकाय के लक्षण ।
तैजसकाय के द्वारों का निर्देश । ८५. पृथ्वीकाय में जीवत्व-सिद्धि का उदाहरण ।
११७. तंजसकाय जीवों के भेद । पृथ्वीकाय जीवों का परिमाण।
११८. बादर तैजसकाय के पांच भेद । ८७,८८. उदाहरण द्वारा परिमाण का निर्देश ।
उपमा द्वारा तैजसकाय में जीवत्व-सिद्धि । ८९,९०.
क्षेत्र और काल की दृष्टि से पृथ्वीकाय का १२०. तैजसकाय जीवों का परिमाण । परिमाण।
१२१. तैजसकाय जीवों के उपभोग के प्रकार । ९१. पृथ्वीकाय का अवगाहन ।
१२२. उक्त उपभोग के कारणों से तैजसकाय की ९२,९३. पृथ्वीकाय का उपभोग कितने प्रकार से ?
हिंसा । उपर्युक्त उपभोग के कारणों से पृथ्वीकाय की १२३,१२४. तैजसकाय जीवों के शस्त्र । हिंसा का निर्देश ।
पृथ्वीकाय की भांति अन्य द्वारों के कथन पृथ्वीकाय के शस्त्र ।
का निर्देश। स्वकायशस्त्र, परकायशस्त्र और भावशस्त्र १२६. पृथ्वीकाय की भांति वनस्पतिकाय के द्वारों का निरूपण।
के कथन का निर्देश । ९७,९८. उदाहरण द्वारा पृथ्वीकाय की वेदना का १२७-३०. वनस्पतिकाय के भेद-प्रभेद । निरूपण।
१३१-३३. प्रत्येक वनस्पति का दृष्टांत द्वारा लक्षण
कथन । पथ्वीकाय का वध करने वाला अणगार
१३४. प्रत्येक वनस्पति जीवों का परिमाण । नहीं।
१३५. आज्ञा द्वारा इन जीवों के अस्तित्व की १००. हिंसा करने वाले अणगार के दोष ।
स्वीकृति । १०१. कृत, कारित, अनुमोदन द्वारा पृथ्वीकाय का १३६-४०. साधारण वनस्पति के लक्षण । वध ।
१४१. अनन्तकाय जीवों के भेद । . १०२,१०३. पृथ्वीकाय के वध से तन्निश्रित अनेक जीवों १४२. प्रत्येक वनस्पति की सूक्ष्मता का निर्देश । की हिंसा।
१४३. निगोद के जीवों की सूक्ष्मता का निर्देश ।
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