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महावीर वाणी भाग 2
चित्त है। उस चित्त के कारण वे दुखी होते हैं। चित्त है हमारे अनंत अनंत कर्मों का संस्कार ।
समझें- कल भी आपने कुछ किया, परसों भी आपने कुछ किया, इस जन्म में भी, पिछले जन्म में भी, वह जो सब आपने किया है उसने आपको ढांचा दे दिया है, एक पैटर्न। एक सोचने, समझने, व्याख्या करने की एक व्यवस्था आपके मन में दे दी। आप उसी व्याख्या से चलते हैं और सोचते हैं । उसी व्याख्या के कारण आप सुखी और दुखी होते रहते हैं और उस व्याख्या को आप कभी नहीं बदलते । सुख-दुख को बदलने की बाहर कोशिश करते हैं और भीतर की व्याख्या को पकड़कर रखते हैं। और आपकी हर कोशिश उस व्याख्या को मजबूत करती है । आपके चित्त को मजबूत करती है, आपके माइंड को और ताकत देती चली जाती है। जिसके कारण दुख होता है, उसको आप मजबूत करते जाते हैं और निमित्त को बदलने की चेष्टा में लगे रहते हैं । कारण छिपा रहता है, निमित्त हम बदलते चले जाते हैं। फिर बड़े मजे की घटनाएं घटती हैं- कितना ही निमित्त बदलो, कारण नहीं बदलता ।
एक मित्र परसों मेरे पास आये। अमरीका में उन्होंने शादी की। काफी पैसा कमाया शादी के बाद। वह सारा का सारा पैसा अमरीका बैंकों में अपनी पत्नी के नाम से जमा किया। खुद के नाम से कर नहीं सकते जमा, पत्नी के नाम से वह सारा पैसा जमा किया। अचानक पत्नी चली गयी और उसने वहां से जाकर खबर दी कि मुझे तलाक करना है। अब बड़ी मुश्किल में पड़ गये । पत्नी भी हाथ से जाती , वह जो चार लाख रुपया जमा किया है, वह भी हाथ से जाता है। अब किसी को कह भी नहीं सकते कि चार लाख जमा किया है, क्योंकि उसमें पहले यहां फंसेंगे कि वह चार लाख वहां ले कैसे गये। वह जमा कैसे किया ?
मेरे पास वे आये । वे कहने लगे कि मैं पत्नी को इतना प्रेम करता हूं कि उसके बिना बिलकुल नहीं जी सकता। तो कोई योग में ऐसा चमत्कार नहीं है कि मेरी पत्नी का मन बदल जाये? वह खिंची चली आये? लोग योग वगैरह में तभी उत्सुक होते हैं जब उनको कोई चमत्कार... खिंची चली आये, ऐसा कुछ कर दें।
मैंने उनसे कहा कि पहले तुम सच सच मुझे बताओ कि पत्नी से मतलब है कि चार लाख से? क्योंकि योग में अगर पत्नी को खींचने का चमत्कार है तो चार लाख खींचने का भी चमत्कार हो सकता है। तुम सच सच बताओ ।
उन्होंने कहा, क्या कह रहे हैं, रुपया अकेला आ सकता है? तो पत्नी से कोई लेना-देना नहीं है। भाड़ में जाये, रुपया निकल आये। कहने लगे कि मैं तो उससे बहुत प्रेम करता था, क्यों मुझे छोड़कर चली गयी, समझ में नहीं आता। क्यों मुझे इतना दुख दे रही है? समझ में नहीं आता ।
मैंने कहा, बिलकुल साफ समझ में आ रहा पत्नी को कभी तुमने भूलकर भी प्रेम नहीं किया होगा। तुमने भी पत्नी को शायद यह रुपया जमा करने के लिए ही चुना होगा। और पत्नी भी इन रुपयों के कारण ही तुम्हारे पास आयी होगी। मामला बिलकुल साफ है। वे कहने लगे, एक अवसर मुझे मिल जाये, पत्नी वापस आ जाये। तो मैंने, जो-जो भूलें आप बताते हैं, अब दुबारा नहीं करूंगा । आप मुझे समझा दें, कैसा व्यवहार करूं, क्या प्रेम करूं; लेकिन एक अवसर तो मुझे मिल जाये सुधरने का ।
यह जो आदमी कह रहा है, एक अवसर मुझे मिल जाये सुधरने का, इसे अवसर मिले, यह सुधरेगा? यह हो सकता है पत्नी की हत्या कर दे। इसके सुधरने का आसार नहीं है कोई, सुधरना यह चाहता भी नहीं है। यह मान भी नहीं रहा है कि यह गलत है।
वह जो हमारे भीतर मन है, उसको तो हम मजबूत किये चले जाते हैं। मैंने उनसे कहा कि दूसरी शादी कर लो, छोड़ो भी । दूसरी शादी र लो, इस बात को छोड़ो। पैसा फिर कमा लोगे। लेकिन अब दुबारा जमा मत करना अमेरिका में। तुम भी चोर थे, पत्नी भी चोर साबित हुई, चोर चोरों को खोज लेते हैं। लेकिन यह मत सोचो कि इसमें दुख का कारण पत्नी है। वे बड़े दुखी हैं, आंसू निकल-निकल आते हैं। ये वह चार लाख पर निकल रहे हैं, पत्नी से कोई लेना-देना नहीं है। बड़े दुखी हैं, लेकिन दुख का कारण वे सोच रहे हैं, पत्नी का दगा
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