Book Title: Mahavira Vani Part 2
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 570
________________ महावीर-वाणी भाग : 2 ही होता है—चेष्टा से पैदा की गयी निद्रा; कोशिश से लायी गयी निद्रा; और मन के तंतुओं को शिथिल करके लायी गयी निद्रा। __ आपको जब रात नींद आती, तो कारण आप जानते हैं क्या होता है ? कारण यह होता है कि मन के तंतु खिंचे होते हैं, विचार में लगे होते हैं । इतने विचार में लगे होते हैं कि खून दौड़ता ही चला जाता है। इस खून के दौड़ने के कारण नींद मुश्किल हो जाती है। इसलिए बिना तकिये के आप सोएं तो नींद नहीं आती, क्योंकि खून सिर की तरफ दौड़ता रहता है। तकिया आप रख लें तो खून सिर की तरफ नहीं दौड़ता, नहीं दौड़ने के कारण जल्दी नींद आ जाती है। __इसलिए जैसे-जैसे लोग बौद्धिक होते जाते हैं, वैसे-वैसे तकियों की संख्या बढ़ती जाती है । जंगली आदमी बिना तकिये के सो सकता है। जानवरों को तकिये की कोई फिक्र ही नहीं है। जंगली आदमी सोच भी नहीं सकता कि तकिये की क्या जरूरत है। बड़ी गहरी नींद सोता है। असल में विचार न होने से खून की गति मस्तिष्क में वैसे ही कम होती है। लेकिन आपके मन में इतने विचार चल रहे होते हैं, कि जब तक विचार चल रहे होते हैं, तब तक खून दौड़ता रहता है। क्योंकि बिना खून दौड़े विचार नहीं चल सकते। ___तो मंत्र के द्वारा ये विचार बंद हो जाते हैं। और मंत्र पुनरुक्ति हैं एक शब्द की । एक शब्द के दोहराने से मन के तंतु शिथिल होने लगते हैं। शिथिल होने से निद्रा आ जाती है। अगर आपको कोई भी एक मोनोटोनस वातावरण दिया जाये, वह नींद के लिए अच्छा होता हैं।...मोनोटोनस चाहिए। आपका सोने का जो कमरा है, मनोवैज्ञानिक कहते हैं, बहुत-से रंगों से उसको नहीं रंगना चाहिए। क्योंकि बहुत रंग मन को उत्तेजित करते हैं। एक रंग होना चाहिए और वह भी मोनोटोनस, जिससे ऊब आये, उदासी आये, तंद्रा मालूम पड़े। कमरे में ज्यादा चीजें नहीं होनी चाहिए। और हर आदमी के सोने का रिचुअल होता है । वह उसी को रोज दोहराता है। जैसे छोटे बच्चे हैं—कोई छोटा बच्चा अपनी गुड्डी को हाथ में पकड़कर सो जाता है; कोई छोटा बच्चा अपने अंगूठे को मुंह में ले लेता है । वह मोनोटोनस हो गया है । वह रोज वही करता है। अगर आप उसका अंगूठा उसके मुंह से निकाल लें, तो उसकी नींद तोड़ देंगे। वह जैसे ही अंगूठा मुंह में डाल लेता है, अंगूठा मंत्र हो जाता है। वह ऊब हो गयी। वही पुराना अंगठा रोज-रोज-वह सो जाता है। आप ऐसा मत सोचना कि छोटे बच्चे ही ऐसा करते हैं। आपका भी क्रियाकाण्ड है। हर आदमी का क्रियाकाण्ड है। सोते वक्त वह वही क्रियाकाण्ड करेगा, उसके बाद नींद आ जायेगी। नींद आ जायेगी, अगर आपने वही क्रियाकाण्ड किया। ___ इसलिए नये कमरे में नींद नहीं आती, क्योंकि मोनोटोनी टूट जाती है। नये मकान में नींद नहीं आती। नया आदमी कमरे में सो रहा हो, तो जरा अड़चन होती है। वही पत्नी सो रही हो, वही पति सो रहा हो, वही घुर्राटा चल रहा हो सदा का-ऊब पैदा होनी चाहिए, नींद का सूत्र है। जरा भी नयी चीज अड़चन पैदा करती है। __ तो मन को कुछ लोग उबाकर मूर्च्छित कर लेते हैं। ऐसे लोग, महावीर जिसको सिद्धावस्था कह रहे हैं, उस तक कभी भी नहीं पहुंच सकते। ये दो ढंग हैं । दबानेवाला विक्षिप्त हो जाता है, सुलानेवाला धीरे-धीरे सुस्त हो जाता है । वह शांत भला दिखाई पड़ने लगे, लेकिन उसकी शांति मुरदा है ए आदमी की शांति है, मरघट की शांति है। वह कोई जीवंत शांति नहीं है, जहां भीतर जीवन प्रवाह ले रहा है और अशांति न हो। इन दो बातों से बचना जरूरी है। लेकिन वही बच सकता है, जो मन का स्वभाव समझ ले। मन का स्वभाव क्या है ? मन है विचार की प्रक्रिया । मन कोई यंत्र नहीं है। मन कोई वस्तु नहीं है। मन एक प्रवाह है। मन को अगर हम ठीक से समझें तो 556 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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