Book Title: Mahavira Vani Part 2
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 596
________________ महावीर-वाणी: मंत्र-वाणी ओशो के प्रवचन संकलन- 'महावीर-वाणी' को पढ़ा और कैसेट से भी सुना है। ओशो के गहरे मधुर कंठ-स्वर ने मुझे भाव-विभोर किया है। अनाहत, अनहद नाद के प्रकंपन उस वाणी में हैं। 'महावीर-वाणी' में ओशो ने भगवान महावीर की धर्म-देशना को एक नया आयाम दिया है। उसके गहिरतम मर्म को नये प्रकाश में खोला है-उसे एक डायनमिज्म (प्रगतिमत्ता) प्रदान किया है। इसी से युवा पीढ़ी उससे अत्यंत प्रभावित हुई है। एक सर्वथा नवीन नित-नव्यमल जीवन-दर्शन उसमें प्रवाहित हआ है। देश-देशांतरों के हजारों-लाखों लोगों को ओशो की वाणी ने प्रभावित किया है। सबसे ताजा खबर यह है कि जापान के 'झेन' मठों ने ओशो को अपने श्री गरु के पट्ट आसन पर बिठाया है।। - ओशो के शब्द विश्वात्मा-परमात्मा की वैद्युतिक ऊर्जा से झंकृत हैं। वे महाकाल के भाल पर आगामी मनवंतरों के अक्षर उकेर रहे हैं। वे मंत्राक्षर हैं। बीजाक्षर हैं।। 'महावीर-वाणी' में शब्दों में वही नित-नव्य परिणमन शील विद्युत-धारा संचरित है। इस वैश्विक ऊर्जा को संसार की कोई शक्ति अवरुद्ध नहीं कर सकती।। इसी से आत्म-स्वरूप ओशो को मैं अपनी समस्त भगवत्ता के साथ प्रणति देता हूं। वीरेंद्र कुमार जैन सुविख्यात कवि एवं लेखक मुंबई A REBEL BOOK ISBN-rivad 2725ha ULPnly Jain Education International www.jainelibrary.org

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