Book Title: Mahavira Vani Part 2
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 562
________________ महावीर-वाणी भाग : 2 यह होता रहेगा। महावीर इसलिए विरक्त के लिए ही कहते हैं कि द्वार खुल सकता है। आसक्ति जिसे व्यर्थ हुई अनुभव से, वह विरक्त। जो विरक्त हुआ, वह अब द्वार खोजेगा नया। इस संसार में जिसका कोई घर न रहा, वह हुआ अनगार, अगृही। अब वह असली घर की खोज में लगेगा। यह खोज दीक्षा बन सकती है। तो जिन्होंने वह घर पा लिया है, जो उस घर में प्रवेश कर गये हैं-अब वह उनकी आवाज समझने की कोशिश करेगा, उनके इशारे। और जो व्यक्ति दीक्षित हो जाता है, उसे अनुत्तर धर्म का अनुभव शुरू होता है। महावीर धर्म का अर्थ करते हैं 'स्वभाव'। महावीर कहते हैं जैसे आग का स्वभाव है उष्णता और जल का स्वभाव है नीचे की तरफ बहना, ऐसे ही प्रत्येक आत्मा का स्वभाव है,ज्ञान, बोध, बुद्धत्व। । जैसे ही कोई व्यक्ति भीतर मुड़ता है, इस ज्ञान की किरणें उसे घेर लेती हैं। और इस ज्ञान की किरणों का अनुभव अनुत्तर धर्म का, कभी न जाने गये धर्म का अनुभव है। दूसरों ने जाना है, आपने कभी नहीं जाना है। आपके लिए नयी घटना है, एक मौलिक घटना है। और यह कोई उधार बात नहीं है अब । अब आपको गीता और करान और बाइबिल में खोजने की जरूरत नहीं है। अब आपको वह मिल गया है, जो जीसस को पता था, कष्ण को पता था, मुहम्मद को पता था। अब आप वहां खड़े हैं, जहां खड़े होनेवालों ने बोला है, और बोलकर नंबर दो के, द्वितीय मूल्य के शास्त्र निर्मित हुए हैं। महावीर कहते हैं, शास्त्र प्रतिध्वनि है, मूल नहीं। और जब कोई व्यक्ति अपने भीतर प्रवेश करता है, तो मूल में प्रवेश करता है। इस व्यक्ति से प्रतिध्वनियां होंगी, वे शास्त्र बन जायेंगे। और जो लोग प्रतिध्वनियां को ही सब कुछ समझकर जी लेते हैं, वे भटक जाते हैं। मूल की खोज जरूरी है। गीता पढ़कर, कृष्ण कहां थे, उस जगह की खोज करनी चाहिए। महावीर को सुनकर, अंधे की तरह महावीर को मान लेने की जरूरत नहीं है। महावीर कहां थे, उस जगह की खोज की जरूरत है। मोहम्मद को सुनकर मुसलमान बनने से कुछ भी न होगा, मुहम्मद बनना पड़ेगा। दुनिया में मुसलमान बहुत हैं, जैनी बहुत हैं, हिंदू बहुत हैं, ईसाई बहुत हैं-उनसे कुछ भी नहीं होता। क्राइस्ट को सुनकर क्रिस्चियन बनना धोखा है, क्राइस्ट बनने की जरूरत है। तो अनुत्तर धर्म उपलब्ध होगा। लेकिन कोई क्राइस्ट नहीं बनना चाहता। क्रिस्चियन बनने में सुविधा है, क्योंकि क्रिस्चियन बनने में सारी जिम्मेवारी क्राइस्ट पर है, हम तो सिर्फ पीछे चल रहे हैं। अगर भटके तो तुम जिम्मेवार । . और क्रिस्चियन को बड़ी सुविधाएं हैं जीवन में कुछ बदलना नहीं पड़ता। क्रिस्चियन को क्राइस्ट को मानने तक की जरूरत नहीं है। जैन को कहां महावीर को मानने की जरूरत है ! सिर्फ इतना मानने की जरूरत है कि हम मानते हैं। और कुछ करने की जरूरत नहीं है। एक रत्तीभर बात मानने की जरूरत नहीं हैं। बर्टेड रसेल ने लिखा है, तब बायन्ड विन इंगलैंड का प्रधानमंत्री था। बायन्ड विन निष्ठावान क्रिस्चियन था और रसेल ने मजाक में लिखा है कि बायन्ड विन निष्ठावान क्रिस्चियन है, हर रविवार चर्च में मौजूद होता है-प्रधानमंत्री हो जाने के बाद भी। रोज बाइबिल पढ़कर सोता है। लेकिन, ध्यान रखना, कोई जाकर बायन्ड विन को चांटा मत मार देना। हालांकि जीसस ने कहा है कि जो चांटा मारे, उसके सामने तुम दूसरा गाल कर देना। बायः वह मजाक कर रहा है। वह यह कह रहा है कि चर्च में जाने से क्या होगा! बाइबिल पढ़ने से क्या होगा! बाइन्ड विन को भी अगर चांटा मारोगे तो दिक्कत में पड़ जाओगे। वह गाल आगे नहीं करनेवाला है दूसरा ! 548 For Private & Personal Use Only Jain Education International • www.jainelibrary.org

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