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महावीर-वाणी भाग : 2
काटतरह, आरजनहाय
जायेगी। जो सबसे बड़ी कमजोरी है, उसे पकड़ लो और उस कमजोरी को मिटाने में लग जाओ । या वह कमजोरी जिससे मिट जायेगी, उस गुण को साधने में लग जाओ-तुम्हारा पूरा जीवन रूपांतरित हो जायेगा।
हमें इस सूत्र का पता नहीं है चेतन रूप से, लेकिन अचेतन रूप से भलीभांति पता है। और हम इसका एक उपयोग करते हैं, जो आत्मघाती है। वह उपयोग हम यह करते हैं कि व्यक्ति अपनी मौलिक कमजोरी से नहीं लड़ता अपनी क्षुद्र कमजोरियों से लड़ता रहता है।
उनके बदलने से कुछ बदलाहट न होगी। जब तक आप अपनी आधारभूत कमजोरी से लड़ना नहीं शुरू कर देंगे, तब तक जीवन नहीं बदलेगा । आप क्षुद्र कमजोरियों को बदल सकते हैं, उनसे कोई अंतर नहीं पड़ता। एक आदमी शराब पीना छोड़ सकता है; सिगरेट पीना छोड़ सकता है; मांसाहार छोड़ सकता है; ब्रह्ममुहूर्त में उठ सकता है; प्रार्थना-पूजा कर सकता है, लेकिन अगर उसकी मौलिक कमजोरियों के साथ इनका कोई संबंध नहीं है, तो उसका जीवन बिलकुल बदलेगा नहीं।
कितने लोग हैं जो शराब नहीं पीते हैं। लेकिन शराब न पीने से कोई मोक्ष उपलब्ध नहीं हो गया है। अगर आप भी नहीं पीयेंगे, तो उनसे कुछ बेहतर हालत में तो नहीं पहुंच जायेंगे, जो नहीं पीते हैं । कितने लोग हैं जो मांसाहार नहीं करते। लेकिन मांसाहार न कर लेने से उन्हें कोई आत्मा का ज्ञान नहीं हो गया है। आप भी छोड़ देंगे, तो भी क्या होगा? ___ मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप मत छोड़ना । मैं यह भी नहीं कह रहा हूं कि आप शराब पीये जायें और मांसाहार करते जायें। मैं यह कह रहा हूं कि आप अपने जीवन में मौलिक को पकड़ें, जिससे क्रांति होगी। अगर मौलिक को, मूल को नहीं पकड़ा और पत्तों को
और जड़ नहीं काटी, तो एक पत्ता काटने से चार पत्ते पैदा हो जाते हैं। तो एक दुर्गुण आदमी काटता है, अगर वह आधारभूत नहीं है, जड़ में नहीं है, तो दस नये दुर्गुण पैदा हो जाते हैं । और आप पत्तों से लड़ते रहें जीवनभर, समय खो जायेगा। जीवन में जड़ को खोजना जरूरी है। __ और दूसरा सूत्र खयाल में ले लेना जरूरी है कि हर व्यक्ति की कमजोरी अलग है; दुर्गुण अलग है; इसलिए किसी की नकल करने से कुछ भी न होगा। हर व्यक्ति की कमजोरी मौलिक रूप से भिन्न है। वही उसका व्यक्तित्व है। और इसलिए हर व्यक्ति को कुछ भिन्न गुण साधना पड़ेगा, जो उसकी मौलिक कमजोरी को काट दे और जीवन को बदल दे । इसलिए किसी का अनुकरण, अंधानुकरण काम का नहीं है। जीवन का सचेत विश्लेषण चाहिए। __कोई आदमी है, क्रोध जिसकी मौलिक कमजोरी है। जिसकी मौलिक कमजोरी क्रोध है, वह दान देता रहे, लोभ न करे, ब्रह्मचर्य साध ले-कोई अंतर न पड़ेगा। बल्कि बड़े मजे की बात है कि क्रोधी आदमी ब्रह्मचर्य आसानी से साध लेगा । क्रोधी आदमी लोभ को छोड़ सकता है। क्रोधी आदमी क्रोध के पीछे अपना जीवन छोड़ सकता है, लोभ क्या है ! वह क्रोध के पीछे खुद सब कुछ नष्ट कर सकता है; दान दे सकता है; संन्यास ले सकता है; साधु हो सकता है; नग्न खड़ा हो सकता है--सब त्याग कर सकता है। लेकिन उसका त्याग बाहर-बाहर हो जायेगा, जब तक कि उसका क्रोध नहीं चला जाता।
लोभी आदमी सब छोड़ सकता है लोभ को छोड़कर । और सब छोड़ने में भी लोभ बच जायेगा। और त्याग के द्वारा भी वह भविष्य में, अगले जन्म में, मोक्ष में, स्वर्ग में कुछ कमाने की आकांक्षा रखेगा। छोड़ने में भी लोभ बच रहेगा। ___ अहंकारी व्यक्ति सब छोड़ सकता है। इसीलिए छोड़ेगा ताकि अहंकार मजबूत होता चला जाये; सघन होता चला जाये । अहंकारी आदमी तो धन, आप उससे कहें,
से कहें. छोड सकता है. अगर अहंकार बढता हो । पद कहें. छोड़ सकता है, अगर अहंकार बढता हो। सिंहासन पर लात मार सकता है, अगर लात मारने से अहंकार बढ़ता हो । लेकिन अहंकार को जरा-सी चोट पहुंचती हो, तो कठिनाई हो जायेगी।
मैंने सुना है कि हालीवुड में ऐसा हुआ, एक बड़ी फिल्म अभिनेत्री विवाह करने के तीन घंटे के भीतर अपने वकील के पास पहुंच
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