Book Title: Mahavira Vani Part 2
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 551
________________ अंतस-बाह्य संबंधों से मुक्ति किसी स्त्री की नाक थोड़ी लंबी है और किसी स्त्री की नाक थोड़ी छोटी है, और कोई स्त्री थोड़ी गोरी है, और कोई स्त्री थोड़ी काली है-इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। और कोई स्त्री हिंदू घर में पैदा हुई है और कोई मुसलमान घर में इसमें भी कोई फर्क नहीं पड़ता। उसकी जो मौलिक स्थिति है-स्त्रैणता-वह वैसी ही है, जैसे सारे जगत का पानी। एक बूंद खबर दे देती है; लेकिन हम जन्मों-जन्मों से अनेक बूंदों का अनुभव करके भी निष्कर्ष नहीं ले पाते; क्योंकि सारे जगत का पानी तो कायम रहता है। ___ महावीर कहते हैं कि जो व्यक्ति एक अनुभव को इतना गहराई से ले और उसको सार्वभौम बना ले, उसको फैला ले पूरे जीवन पर-वही कामवृत्ति से मुक्त हो पायेगा-अन्यथा स्त्रियां सदा शेष हैं, पुरुष सदा शेष हैं, संबंध सदा शेष हैं; आशा कायम रहती है। जैसा विज्ञान तय करता है थोड़े से अनुभव के बाद सार्वभौम नियम, वैसे ही धर्म भी तय करता है थोड़े से अनुभव के बाद सार्वभौम नियम। मैं न मालूम कितने लोगों का निकट से अध्ययन करता रहा हूं। सारे फर्क ऊपरी हैं, भीतर रंचमात्र फर्क नहीं है। सारे फर्क वस्त्रों के हैं, कहना चाहिए-भाषा के, व्यवहार के, आचरण के-सब ऊपर हैं। क्योंकि हरेक व्यक्ति का जन्म अलग ढंग अलग व्यवस्था में, अलग नियम, नीति, समाज-सब फर्क ऊपरी हैं। जरा ही चमड़ी के भीतर प्रवेश करो, वहां एक ही पानी बह रहा एक का अनुभव ठीक से ले लिया जाये तो हम इस बोध को उपलब्ध हो सकते हैं कि बहुत अनुभवों में भटकने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन कोई चाहे तो बहुत अनुभवों में भी भटके, लेकिन कभी न कभी उसे यह नियम की तरह स्वीकार कर लेना पड़ेगा कि इतने अनुभव काफी हैं, अब मैं कुछ निष्कर्ष लूं। जिस दिन व्यक्ति सोचता है, इतने अनुभव काफी हैं, अब मैं कुछ निष्कर्ष लूं, उस दिन जीवन में क्रांति शुरू हो जाती है। मुल्ला नसरुद्दीन काफी बूढ़ा हो गया था। वह और उसकी पत्नी अदालत में खड़े हैं। और मजिस्ट्रेट ने कहा कि 'हद कर दी नसरुद्दीन! अब इस उम्र में तलाक देने का पक्का किया? नसरुद्दीन ने कहा कि 'उम्र से इसका क्या संबंध?' मजिस्ट्रेट ने पूछा कि 'तुम्हारी उम्र कितनी है?' नसरुद्दीन ने कहा, 'कि चौरानबे वर्ष ।' और उसकी पत्नी से पूछा। उसने शर्माते हुए कहा, 'चौरासी वर्ष ।' मजिस्ट्रेट भी थोड़ा बेचैन हुआ। उसने नसरुद्दीन से पूछा, 'और तुम्हारी शादी हुए कितना समय हुआ?' नसरुद्दीन ने कहा, 'कोई सड़सठ वर्ष !' मजिस्ट्रेट बड़े अविश्वास से भर गया, उसने कहा कि 'करीब-करीब सत्तर साल तुम्हारी शादी को हो चुके हैं, और अब तुम तलाक करना चाहते हो? सत्तर साल साथ रहने के बाद !' नसरुद्दीन ने कहा, 'योर आनर, व्हिचएवर वे यू लुक, इनफ इज इनफ-अब, बहुत हो गया, काफी हो गया। और काफी काफी आप अपने जीवन में करीब-करीब पुनरुक्त करते चले जाते हैं चीजों को, और इनफ इज इनफ कभी भी नहीं आ पाता। ऐसा कभी अनुभव नहीं होता कि अब काफी है। और जिस व्यक्ति को ऐसा अनुभव हो, उसके जीवन में विरक्ति की पहली किरण उतरती है। महावीर कहते हैं : 'जब देवता और मनुष्य संबंधी समस्त काम-भोगों से साधक विरक्त हो जाता है, तब अंदर और बाहर के सभी सांसारिक संबंधों को छोड़ देता है।' 'विरक्त हो जाता है। ' विरक्ति कोई आयोजना नहीं हो सकती। आप चेष्टा करके विरक्त नहीं हो सकते। अनुभव की परिपक्वता ही 537 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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