Book Title: Kusumvati Sadhvi Abhinandan Granth
Author(s): Divyaprabhashreeji
Publisher: Kusumvati Abhinandan Granth Prakashan Samiti Udaipur
View full book text
________________
Jain Education International
11 2 11
पूज्य महासती कुसुमवतीजी का जीवन कुनुम सम सद्गुण सुरभित और कोमल कमनीय रहा है। उनकी विनम्रता, सरलता, सेवा भावना जहाँ गुरुजनों की कृपा एवं मंगलमय आशीर्वाद की भाजन रही है, वहीं उनकी विद्वत्ता, चारित्रिक निर्मलता और सहज वत्सलता सर्वसाधारण की श्रद्धा और सद्भावना का केन्द्र रही है।
सहज भाव से प्राप्त गुरुजनों के आशीर्वचन तथा श्रद्धालु जनों की श्रद्धाचंना, शुभकामनाएँ उनके प्रति हार्दिक सद्भावना और श्रद्धा का स्वयंभूत प्रमाण है । इन शब्द सुमनों से व्यक्त होती सद्भावना युक्त श्रद्धा सुरभि इस बात को सहज ही प्रकट करती है
तुम सद्गुण का केन्द्रित कोषागार तुम सद्भावों का शुभ श्रृंगार तुम हो श्रद्धा का सघन रूप लो श्रद्धावन का यह उपहार।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org