Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
सन्देश
5
VIJAY SINGH SURANA
४६
उत्तमचन्द सेठिया
अध्यक्ष,
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा
श्रीमान काका साहब श्री केसरीमल जी सुराणा का सार्वजनिक अभिनन्दन करने का निर्णय लिया लिखा, पढ़कर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। आपके जैसा पुरुषार्थी कर्म योगी पुरुष समाज में विरले ही हैं। आपकी तपस्या एवं अभूतपूर्व स्थान का उदाहरण बेजोड़ है मैं परमेश्वर से आपके चिरायु होने की कामना करता हुआ आता करता हूँ कि अपका सान्निध्य एवं मार्गदर्शन हम सबको एवं विद्याभूमि को वर्षों तक मिलता रहेगा ।
1
- विजयसिंह सुराणा
- शुभकामना
Jain Education International
81, Southern Avenue Calcutta 21-3-1980
मिलाप भवन, जयपुर २१-१२-७९
यह ज्ञात करके एक असीम आनन्द का अनुभव कर रहा हूँ कि श्रीयुत केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन समारोह समिति कर्मयोगी, कर्मठ और कर्मनिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता का अभिनन्दन करने जा रही है। जिस कथनी में नहीं करनी में विश्वास हो जिसमें कार्य करने की मिशनरी भावना हो समाज ऐसे समाजरत्न की जितनी भूरि-भूरि प्रशंसा करे उतनी ही थोड़ी है । यह एक अत्यन्त उपयुक्त निर्णय है और समाज ने ऐसे कर्तव्यनिष्ठ समाजसेवी की सेवाओं का जो मूल्यांकन किया है उसे मैं साधुवाद दिये बिना नहीं रह सकता । जिस समाज में ऐसे निःस्वार्थ समाजसेवी रत्न हों वह समाज निरन्तर अपनी सेवाओं से लोगों को लाभान्वित कर सकता है। ऐसे बेजोड़ समाजसेवी की मैं हृदय से मंगल कामना करते हुए ईश्वर से करवद्ध प्रार्थना करता हूँ कि यह उन्हें दीर्घायु करे ताकि समाज उनकी अमूल्य सेवाओं से उपकृत होता रहे ।
-- उत्तमचन्द सेठिया
For Private & Personal Use Only
卐
www.jainelibrary.org.