Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सन्देश
-शुभकामना
समता मर्वभुतेषु संयमः शुभ भावना ।
आत-रौद्र परित्यागस्तादि सामायिकब्रतम् ।। त्यागत सुराणाजी ने सामायिक के इस गहन उत्तरदायित्व को समझ लिया है और इसलिये वह आज वरेण्य हैं, बन्दनीय हैं व ऐसे प्रकाश पुज हैं जो प्रत्येक समाजसेवी को प्रेरणा की रश्मि बिकिरण करते रहेंगे
और कर्तव्य पथ पर अग्रसर होने वालों के लिए आदर्श बने रहेंगे। एक ऐसे प्रदेश में जहाँ शिक्षा प्राप्ति का कोई साधन नहीं था वहाँ उन्होंने शिक्षा की ज्योति जलाकर नवजीवन का संचार कराया है। सप्त दशक पूर्ति पर अपनी आन्तरिक अभ्यर्थना व्यक्त करते हुए उनकी प्रेरणापूर्ण जीवन की दीर्घायु की कामना करता हूँ जिससे हमारे समाज को आपकी सेवा परायणता द्वारा आगे बढ़ने का अवसर मिलता रहे।
-तोलाराम दुगड़
बी० माणकचन्द नाहर एम० ए०
मद्रास
मुझे जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि राजस्थान में जैन शिक्षा, संस्कृति के उन्नायक सजग-प्रचारक, सरस प्रसारक, निःस्वार्थ साधक श्री केसरीमलजी साहब सुराणा को आप अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट कर रहे हैं । मैं समारोह की सफलता की कामना करता हूँ, साथ ही प्रभु से प्रार्थना करता हूँ कि श्री सुराणा शतायु हों और इसी प्रकार समाज का मार्गदर्शन करते रहें। अभिनन्दन ग्रन्थ जैन वाड. मय का उज्ज्वल कीर्तिस्तम्भ बने, इसी सद्भाव सहित ।
-माणकचन्द नाहर
४२ संस्कार निर्माण समिति
प्र० कार्यालय-सरदार शहर
राजस्थान
दिनांक १६ दिसम्बर, १९८० श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ, राणावास (राज.) के अवैतनिक मंत्री श्री केसरीमल जी सुराणा गत ३६ वर्षों से राजस्थान के कांठा अंचल की विद्याभूमि में राणावास में शिक्षा प्रसार तथा बालकबालिकाओं में सुसंस्कार निर्माण के कार्य में रत हैं। वास्तव में राणावास श्री सुराणाजी के नेतृत्व में सुशिक्षित, सुयोग्य तथा चरित्रवान नागरिक तैयार करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है और बधाई का पात्र है। श्री सूराणाजी आचार्य श्री तुलसी के शब्दों में एक साधु-पुरुष हैं, अभिनन्दनीय हैं। वे शतायु हों तथा युवा-पीढ़ी को मार्गदर्शन देते रहें।
-मोहनलाल जैन
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