Book Title: Karananuyoga Part 3 Author(s): Pannalal Jain Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain MahasabhaPage 13
________________ पर्वत के तल भाग से लेकर ६ राजू में रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, प प्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और महातमः प्रभा की सात पृथ्विय हैं। इसके नीचे १ राजू प्रमाण स्थान भूमि रहित ( पृथ्वी रहित ) तथा निगोद आदि ५ स्थावरों से युक्त है । ' मेरु पर्वत की ऊँचाई प्रमाण मध्यलोक है । मेरु पर्वत एक हजार योजन पृथ्वी के अन्दर ( जड़ की गहराई ) है, निन्यानवे हजार योजन बाहर अर्थात् पृथ्वी पर है और चालीस योजन की चूलिका है। ऊर्ध्वलोक की ऊँचाई मध्यलोक की ऊँचाई से कम ७ राजू प्रमाण है । मेरु पर्वत की चूलिका से १ बाल का अन्तर देकर लोकान्त तक अर्थात् ७ राजू पर्यन्त ऊर्ध्वलोक है। ऊर्ध्वलोक में १६ स्वर्ग, ६ ग्रैवेयक, ६ अनुदिश, ५ अनुत्तर एवं सिद्धलोक की है रचना | १. "सातवीं पृथ्वी के नीचे एक राजू में मात्र निगोद ही है।" पाठकों में ऐसी गलत धारणा पड़ चुकी है। वास्तव में बात यह है कि वहाँ भी पाँच स्थावर नियम से हैं। कहा भी है- तस्मादधोभागे रज्जूप्रमाणक्षेत्रं भूमिरहितं निगोदादिपंचरथावरभूतं च तिष्ठति । ( कार्ति अनु. / लोकानुप्रेक्षा गा. १२० की टीका षट्खण्डागम में क्षेत्रानुगम में स्पष्ट लिखा है कि पाँच स्थावर लोक में सर्वत्र रहते हैं। (धवल ४ / ८ ७८८ आदि ) (8)Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 147