Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 11
________________ आकार होता है। अधोलोक वेत्रासन मध्यलोक झालर और ऊर्ध्वलोक मृद के आकार का है।' ३. प्रश्न : लोक का विस्तार, ऊँचाई और धनफल क्या है ? उत्तर : लोक का विस्तार दक्षिणोत्तर दिशा में सर्वत्र सात राजू चौड़ा है। पूर्व-पश्चिम दिशाओं का विस्तार नीचे सात राजू, ऊपर क्रम से घटता हुआ मध्यलोक में एक राजू, फिर क्रम से बढ़ता हुआ ब्रह्मलोक के पास पांच राजू, पश्चात् क्रम से घटतां हुआ अन्त में एक राजू प्रमाण है। लोक की ऊँचाई अधोलोक से लेकर ऊपर तक चौदह राजू है। सम्पूर्ण लोक का घनफल सात राजू का घन अर्थात् ७४७ ४७ = ३४३ (तीन सौ सैंतालीस) घन राजू ४. प्रश्न : अधोलोक का क्षेत्रफल और घनफल क्या है ? उत्तर : मुख और भूमि को जोड़कर आधा करना और उसमें पद योग अर्थात् ७ राजू ऊँचाई का गुणा करने से क्षेत्रफल प्राप्त होता है और क्षेत्रफल में मोटाई का गुणा करने से घनफल प्राप्त होता है। अधोलोक का मुख १ राजू, भूमि ७ राजू, दोनों को जोड़कर १. र. दा. भाग १. पृष्ट २०६ नया संस्करण। २. "जोगदले पदगुणिदे फलं घणो देवगुणिदफल" (त्रिलोकसार)

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