Book Title: Karananuyoga Part 3
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha

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Page 10
________________ करणानुयोग दीपक तृतीय माग प्रथमाधिकार मंगलाचरण ।। जिनयाणीं नमस्कृत्य मातृवद्धितकारिणीम् ।। ।। लोकस्य वर्णन किञ्चित् क्रियतेन यथागमम्।। १. प्रश्न : लोक किसे कहते हैं ? उत्तरः अनन्त आकाश के बीच जहाँ जीव पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल ये छह द्रव्य एक क्षेत्रावगाह रूप स्थिति को प्राप्त हैं, उसे लोक कहते हैं। २. प्रश्न : लोक का आकार कैसा है ? उत्तरः दोनों पैर फैलाकर कमर पर दोनों हाथ दोनों ओर रख कर खड़े हुए पुरुष का जैसा आकार होता है वैसा ही लोक का

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