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उस निर्जला एकादशी को व्यतीत हुये आज ७१ वर्ष पूरे हो रहे हैं । यह भी कोई विधि का गुप्त संकेत होगा कि उसी निर्जला एकादशी के दिन मैं अपने जीवन प्रवास की दीर्घ कथा का भूमिका स्वरूप यह प्रारंमिक अंश उसी तिथि को आज पूर्ण कर रहा हूं।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमदुच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
निर्जला एकादशी संवत २०२८ विक्रमी तारीख ४-६-७१
मुनि जिनविजय निवास-सर्वोदय आश्रम चन्देरिया चितौड़गढ़
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