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वंश परिचय तीसरी प्रकाशकुँवर थी जो गाँव आंगूचा के गहलोत हरिसिंह जी को ब्याही थी।
संग्रामसिंह के ३ तीन पुत्र हुए
१. नाहरसिंह जिनकी पत्नी अखय कुँवर गांव काशोला के जोधा शिवसिंह जी की बेटी थी:
नाहरसिंह के तीन पुत्र हुए। एक जोरावरसिंह, दूसरा लालसिंह तीसरा इन्दरसिंह ।
संग्रामसिंह के दूसरे लड़केः-तखत्सिंह हुए जिनकी पत्नी नर्मदा कुँवर रूपाहेली वाले राठौड़ प्रेमसिंह जी की बेटी थी। ___संग्रामसिंह के तीसरे पुत्र किशनसिंह थे जिनकी पत्नी भूरकॅवर गाँव जेतपुरा के भवानीसिंह जी राठौड़ की बेटी थी।
संग्रामसिंह के दूसरे पुत्र तखत्सिंह जी मेरे दादा थे। इन्हीं के पुत्र बिरधीसिंह जी (बड़दसिंह) मेरे पिता थे । इनकी मृत्यु, जैसा कि आगे वर्णन किया जायगा वि० सं० १६५५ में हुई। उस समय उनकी उम्र, माता के कथनानुसार ५९-६० वर्ष जितनी थी। इस हिसाब से उनका जन्म वि० सं० १८६५-६६ में हुआ होगा संवत् १६१४ के बलवे के समय उनकी उम्र १८-१६ वर्ष की थी।
तखत्सिंह जी अपने पिता संग्रामसिंह जी के साथ एकलसिंगा की ढाणी में रहते थे। पिता के और कोई भाई-बहन थे या नहीं इसका पता नहीं मिला।
पिताजी के काका नाहरसिंह जी के ३ लड़के थे। जिनमें छोटा इन्दरसिंह (इन्दा जी) थे ये बाद में रूपाहेली में आकर बस गये थे। इनकी एक पुत्री प्रताप कुँवर थी, जो आँगूचा के ठाकुर सोहनसिंह जी राठौड़ को ब्याही थी। बाई प्रताप'वर का १ पुत्र अमरसिंह और २ बेटियाँ। १. मदन कुँवर है और २. बाई भँवरकुँवर बदनोर के ठाकुर चतुरसिंह जी को ब्याही गई। इसके २ पुत्र और ३ पुत्रियाँ आदि विद्यमान हैं।
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