Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 196
________________ श्री चतुरसिंह जी राठौड़ के कुछ पत्र [१७३ राजस्थान के उपदेश से एक स्कूल क्षत्रिय बालकों के पढ़ाने के निमित्त यहाँ रूपाहेली में स्थापित करने का विचार किया गया है और स्कूल का मकान भी हमारे ठिकाने की तरफ से बनवा दिया गया है। जो पूर्ण होने ही वाला है इसके अतिरिक्त एक सहस्त्र रुपया भी उनके निर्वाह के लिये हमारी ओर से दिया गया है तो भी धन की फिर भी आवश्यकता है । इसलिए निवेदन है कि यह स्थान आपकी जन्म भूमि है और आपका पवित्र शरीर भी इसी क्षत्रिय वर्ण में उत्पन्न हुआ था। अतः आप उचित समझे तो इस जातीय स्कूल में भी सहायता देकर मातृभूमि की सेवा करने में यशस्वी हो सकते हैं। और अनेक क्षत्रिय बालक पढ़कर विद्वान होते रहेंगे और आपको आजन्म आशीर्वाद अर्पण करते रहेंगे। हमारा भी निवेदन यही है कि इस जन्म भूमि के जिस वर्ण में आपका अवतरण हुआ है। उसी वर्ण के स्कूल को सहायता मिले तो अत्युत्तम है। यदि सर्व साधारण के बालकों के निमित्त प्रथक ही स्कूल बनवाने की इच्छा हो तो वैसा भी हो सकता है । उपर्युक्त दोनों बातों में जो आप उचित समझे वैसा ही हम सहर्ष करने को प्रस्तुत हैं। उचित उत्तर से अनुग्रहीत करें। वि. सं. १९७६ फाल्गुन शु. १० अब गुर्जर भाषा तथा अक्षरों का कुछ ज्ञान होने से गुजराती - ऐतिहासिक पुस्तकें भी कुछ काल में मंगवाऊँगा, सो वी. पी. से भेजने की कृपा करें। विनीत उत्तराभिलाषी ठा. चतुरसिंह वर्मा For Private & Personal USपाहला , मेवाड़ |w.jainelibrary.org Jain Education International

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