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श्री चतुरसिंह जी राठौड़ के कुछ पत्र [१७५ का जुबली उत्सव ताः ७-८ मार्च को वाइसराय द्वारा सम्पन्न होगा। कई नरेश भी आवेंगे। पुराने सब छात्रों को भी बुलाया है। मैं जीवित छात्रों में सबसे पुराना हूँ, इसलिए अधिक आग्रह से मुझको भी बुलाया है स्वास्थ्य ठीक रहा तो जाना होगा । अतः निवेदन है कि उक्त तारीख से कुछ दिनों पहले अथवा पश्चात् आपका शुभागमन हो तो उत्तम होगा।
हमारे चारों पुत्र और इस ग्राम के परिचित निवासी आपके चरण कमलों में सादर प्रणाम करते हैं वह स्वीकृत हों । शेष कुशल-मेरे योग्य सेवा लिखावें। वि. सं. १९८६ फाल्गुन कृ. १
भवदीय दर्शनाभिलाषी ठाकुर चतुरसिंह वर्मा रूपाहेली (मेवाड़)
पत्रांक ३
बड़ी रूपाहेली (मेवाड़)
ताः ४-१-४० ईस्वी "ओउम् उद्गीन प्रणवश्चै तिः श्री मत्परम् पूज्य, विविध विद्या विचार वाचस्पति, पुरावृत्तज्ञपयोविधि-श्री मान गुरुदेव मुनि महाराज श्री श्री जिनविजय जी के पुनीत चरणाम्बुजों में सादर कर बद्ध सविनय प्रणाम
अत्रशमतत्रास्तु-बहुत वर्षों के पश्चात् आपके हस्ताक्षरी पत्र ताः २२-१२-३६ ई. के अलभ्य दर्शन हुये हैं । इसको साद्यन्त अवलोकन करके अत्यन्त प्रसन्नता प्राप्त हुई और स्वयं आपके चरण सरोजों के पुनीत दर्शन हों, उतना प्रानन्द मिला। आपके पवित्र पत्र का उत्तर देने में इस कारण विलम्ब हुआ है कि शीतकाल में सर्दी लग जाने से तीव
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