Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 219
________________ १६६ ] जिनविजय जीवन-कथा था वह यहाँ उद्धृत किया जाता है। इस पत्र से ज्ञात होगा कि उक्त गिरधर गोपाल की मूर्ति के बारे में हमें विशिष्ट ज्ञातव्य स्व० श्री ठाकुर चतुरसिंहजी से ही प्राप्त हुआ था । चूं कि ठा. श्री चतुरसिंहजी स्वयं मेड़तिया राठौड़ों के मुख्य वंशजों में से थे और दूसरी बात यह कि वे अपने पूर्वजों के बारे में ऐतिहासिक दृष्टी से तथ्य प्राप्त करने सदा तत्पर रहते थे । मीरांबाई की उपास्य देवता मूर्ति के बारे ठाकुर लाहब से ज्ञात हुए वे संक्षेप में उल्लिखित हैं. --- में हमको जो तथ्य उक्त नीचे दिये गये पत्र में सर्वोदय साधना आश्रम पो० चन्देरिया चित्तौड़गढ़ (राज.) दिनांक २४-७-६७ प्रिय श्री वर्मा जो कुछ दिनों पहले आप तथा श्रीमान् ढेबर भाई चन्देरिया पधारे थे, तब आपने जिक्र किया था कि उदयपुर में महाराणा सा० के महलों में भक्त शिरोमणी मीरां बाई द्वारा पूजित तथा इष्टदेव के रूप में उपासित भगवान स्परूप श्री गिरधर गोपालजी की मूर्ति सुरक्षित है । उस भगवत् मूर्ति को चित्तौड़ के इतिहास प्रसिद्ध किले में मीरां बाई द्वारा बनाये गये देव मन्दिर में पुनः स्थापित करने का जो आप तथा ठाकुर साहब श्री लालसिंहजी शक्तावत द्वारा महत् प्रयत्न हो रहा है, उसे जानकर मुझे बहुत हर्ष और आनन्द हुआ है । Jain Education International आपने इस शुभ कार्य में मेरी जो भी सेवा लेने की इच्छा प्रदर्शित की है, मैं उसके लिये आपका बहुत प्रभारी हूँ और जो कुछ सेवा मुझ से हो सकेगी उसे देने में मैं अपने आपको धन्य समभूंगा । इस सिलसिले में अभी दो दिन पहने श्री ठाकुर साहब लालसिंहजी भी यहाँ चन्देरिया पधारे थे और उनसे इस विषय की सारी जानकारी विशेष रूप से प्राप्त हुई है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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