Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 218
________________ विशेष टिप्पणी [१६५ सुप्रसिद्ध भक्त शिरोमणि मीरा बाई द्वारा पूजित श्री गिरधरगोपाल को मूति की स्थिति के विषय में स्व० ठाकुर श्री चतुरसिंहजी का प्रामाणिक अभिमत कुछ समय पहले राजस्थान के कतिपय राजकीय पुरुषों एवं विचारकों के बीच यह प्रश्न चर्चा का विषय हो गया था कि भक्त कवि श्रीमती मीराबाई श्री गिरधर गोपाल की जिस मूर्ति की उपासना किया करती थी वह मूर्ति अब कहाँ पर है ? परंपरा से चली आई जनश्रुति एवं वृद्धजनों की मान्यता मुताबिक वह मूर्ति उदयपुर के महाराणा साहब के महलों में जो पीताम्बरजी का देवगृह है उसमें विराजमान है और इस मान्यता के अनुसार कुछ सज्जनों का यह प्रयास रहा कि उस मूर्ति को चित्तौड़ के किले में मीराबाई के मंदिर के नाम से जो मंदिर विद्यमान है और जिसमें कोई देवमूर्ति विराजित नहीं है, उसमें उस गिरधर गोपाल की मूर्ति को लाकर प्रतिष्ठित की जाय । इस विषय में यथेष्ट प्रयत्न किया गया, पर कुछ विचारकों ने किन्हीं अज्ञात कारणों से मूर्ति की वास्तविक स्थिति के बारे में मतभेद खड़ा कर दिया। .. इस विषय में, राजस्थान के इतिहास का एक अभ्यासी होने के नाते हमसे भी कई लोगों ने पूछताछ की और जानकारी चाही। खास करके राजस्थान के स्वर्गवासी, कर्मठ, राजकीय वयोवृद्ध नता और परम् पुरुषार्थी श्री माणिक्यलालजी वर्मा (जो स्वयं इस हिलचाल के अर्थात् उदयपुर के महाराणा के महलों से गिरधर गोपाल की मूर्ति को, बड़े उत्सव क साथ चित्तौड़ के किले के मीराबाई वाले मदिर में स्थापित कराने की प्रवृत्ति के प्रमुख नेता थे) हम से चन्देरिया आश्रम में मिलने आये। हमने अपनी जो कुछ जानकारी इस विषय में था उनको दी। तब उन्होंने हमसे कहा कि, आप अपने ये सब विचार एक पत्र के रूप में हमें लिख भेजें, जिससे हम इसको देशव्यापी प्रसिद्धि का रूप दे दें और लोगों को वास्तविक तथ्य का ज्ञान हो जाय । तद्नुसार हमने स्वर्गीय श्री वर्मा जी को उद्दिष्ट करके जो पत्र लिखा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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