Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 212
________________ श्री चतुरसिंह जी राठौड़ के कुछ पत्र [१८६ पत्रांक ठिकाना : रूपाहेली (मेवाड़) ताः 18-3-1942 श्री मान् परम् पूज्य मुनि महाराज की पवित्र सेवा मेंकरीब 6-7 माह पूर्व आपका यहां पदार्पण हुआ उस समय के दर्शनों से परम् मुग्ध हूँ, तत्पश्चात् कोई पत्र करतलगत नहीं हुआ सो बढ़ाया जावे, आशा है आपका शरीर स्वस्थ व आप प्रसन्न हृदय होंगे। जोधपुर में होने वाले वार्षिकोत्सव में कई सज्जनों ने आपको सभापति चुनने की प्रार्थनाएं व अनुरोध किया, लेकिन आपके अस्वीकृत कर देने से वो प्रस्ताव स्थगित हुआ अतएव एक झालावाड़ के पण्डित जी को चुने जाना समाचार पत्रों से बिदित हुआ है। अब इस महोत्सव में आपका पधारना हो सकेगा या नहीं ? लिखाया जावे । ठाणा वाला रामचन्द्र इसकी बहिन की शादी वगैरह के सिलसिले में यहां आया, जिसके जरिये आप के प्रमुखी समाचार पाकर खुशी हुई है । यहाँ आपकी कृपा से सब कुशलता है। भवदीय सेवक ठा. चतुर सिंह रूपाहेली (मेवाड़) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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