________________
श्री चतुरसिंह जी राठौड़ के कुछ पत्र [१८७ कृपा-पत्र आपका अहमदाबाद ( शान्ति नगर सावरमती) से ताः 29-9-40 का लिखा प्राप्त हुआ, जिससे आपके पुनीत दर्शनों के समान अकथनीय आनन्द हुआ। आपकी दया से हम लोग सपरिवार आनन्द में हैं।
विशेष निवेदन है कि, उदयपुर में हिन्दी साहित्य सम्मेलन होने का वृत्तान्त कई मास से सुना जाता है, परन्तु श्रीमानों के सभापति के सर्वोच्च पद पर आसीन होने का शुभ सन्देश समाचार पत्रों द्वारा 15-20 दिन से ही प्रसिद्ध हुआ है। तब से ही उदयपुर पहुँचकर पुनीत दर्शनों की पूर्ण लालसा बढ़ गई थी और दृढ़ विचार भी कर लिया था परन्तु दुर्भाग्य से एक सप्ताह हुआ है कि अधिक वृद्धावस्था के कारण मंदाग्नि, बद्ध कोप्ट, अनाह आदि कष्ट हो गये, इसलिये विवश होकर ठहरना पड़ा, फिर आपका भी पत्र द्वारा आश्वासन मिल गया कि स्वजन्म भूमि में पदार्पण करके हम लोगों को दर्शनों से कृतार्थ करेंगे, जिससे बड़ी प्रसन्नता हुई । आपका स्वास्थ्य भी ठीक न होने का वृत्तान्त पढ़क र बड़ी चिन्ता हुई है । परमात्मा आपके समान महान् आत्मा को शीघ्र ही स्वास्थ्य सम्पन्न करेंगे।
आपकी आज्ञानुसार हमारे स्वकुटुम्बीजन प्रतिनिधि होकर महासम्मेलन में उपस्थित होंगे तथा आपके भी पावन चरण कमल स्पर्श करके विशेष निवेदन करेंगे।
कृपया श्री मान का रूपाहेली पदार्पण हो, जिसके निश्चित समय की आज्ञा चिरायु रघुवीर सिंह आदि को दो दिन प्रथम ही कर देवें, ताकि सवारी वगैरा का यहाँ उचित प्रबन्ध कर दिया जावे । शेष कुशलम ।
हस्ताक्षर : ठा. चतुर सिंह
रूपाहेली (मेवाड़)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org