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जिनविजय जीवन-कथा
यतिजन प्रायः वैद्यकीय बातों की जानकारी अवश्य रखते थे। इसलिये वे इसका उपाय भी करने के लिये कुछ तेल प्रादि के लेप का प्रयोग किया करते थे।
परन्तु एक वृद्ध यति जो कानोड़ में रहते थे उन्होंने कहा कि इस माघ मास की कड़ी शीत में सुबह जल्दी उठकर तालाब के ठंडे पानी में ५, ७ दिन स्नान करने से खुजली नष्ट हो जायगी सो सुनकर हम लोग उस कड़ी सर्दी में सुबह ४, ५ बजे उठकर तालाब में स्नान करने चले जाया करते थे और घंटा डेढ़ घंटा उस ठंडे पानी से शरीर को खूब मला करते थे। पांच सात दिन ऐसा करने पर वह खुजली नष्ट हो गई।
उस कष्ट दायक खुजली तथा उसके निवारण के लिये माघ महिने की कड़ाके की ठंड में सुबह उठकर तालाब में जो स्नान किया था उसका स्मरण आज तक बना हुआ है ।
इस तरह उस शीतकाल में हम लोग मेवाड़ के खास करके उदयपुर और चित्तौड़ जिलों के कई गांवों में घूमे और होली के आने के पहले अर्थात् शिवरात्रि के बीत जाने पर हम वापिस बानेण पहुँचे । इस प्रवास में मुझो कुछ अन्य यतियों की भी तरह तरह की बातें सुनने का अवसर मिला और वह मेरी सुशुप्त विद्या पढ़ने की अभिलाषा भी बढ़ने लगी।
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