Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 192
________________ रूपाहेली के स्वर्गवासी वृद्ध ठाकुर साहब श्री चतुरसिंह जी राठौड़ के कुछ पत्र इस जीवन कथा के चौथे प्रकरण में रूपाहेली के स्वर्गवासी ठाकुर साहब श्री चतुरसिंह जी का वर्णन आया है, मेरे स्वर्गीय पिता वृद्धि सिंह जी का इन ठाकुर साहब के साथ किस तरह और कैसा सम्बन्ध था, इसका भी कुछ परिचय वहां पर दिया गया है । सन् १९२२ में मैं जब अपनी स्वर्गीया माता की खोज निकालने गया, तब इन ठाकुर साहब से जो मेरा विशिष्ठ परिचय हुआ, उसका भी कुछ वर्णन वहाँ पर दिया गया है । उसके बाद समय समय पर ठाकुर साहब से पत्र व्यवहार होता रहा इनमें के कुछ पत्र मेरे पास रखे हुये मिले हैं, वे यहाँ प्रकाशित किये जा रहे हैं। सन् १९२२ के बाद कोई १८ वर्ष तक पुनः मेरा रूपाहेली जाना न हुआ, सन् १९३० में मैं जर्मनी की यात्रा से वापस भारत में लौट आया तब इच्छा हुई थी कि रूपाहेली जाऊँ और अपनी जन्म भूमि के निवासी-बन्धुओं से मिलूं । जर्मनी से जब मैंने अपने देश लौटने का विचार किया था तब मन में एक ऐसा भी खयाल था कि अपनी जन्म भूमि में कोई छोटा-मोटा बाल शिक्षा केन्द्र बनाने का प्रयत्न करूँ। जर्मनी में मुझे एक ऐसी बहन का विशेष परिचय हो गया था जो चाहती थी कि, वह भारत में मेरे साथ आकर कहीं कोई छोटे बच्चों की शिक्षा का कार्य हाथ में ले । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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