Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 189
________________ १६६] जिनविजय जीवन-कथा मालवा मेवाड़ आदि में अच्छे सम्पन्न महाजनों में किसी लड़के का विवाह उत्सव जब शुरू होता है तब लड़के के नजदीकी रिश्तेदार उसको अपने घर बुलाते हैं । और जिसको विनोला कहते हैं। ठीक उसी तरह मेरे ये रोज बिनोले निकला करते थे। विजयादशमी के दिन उत्सव का बड़ा प्रायोजन किया गया । धार, शहर से जो कि दिगठान का मुख्य राज्य-स्थान था, राज्य का मुख्य हाथी मंगाया गया तथा सरकारी बंन्ड भी बुलाया गया। ३ दिन तक हाथी की सवारी और (हाथी की सवारी पर) सरकारी बैन्ड के साथ रात को जुलुस निकलता और सारे गांव में घूमता । आस-पास के गांवों से कोई २-३ हजार जैन भाई-बहिन भी वहां पहुंच गए थे । . इस बीच में एक १५ वर्षीय लड़के को जो जाति से ब्राह्मण बताया जाता है क्योंकि मैंने सामान्यत: अपने को उस समय एक अनाथ ब्राह्मण के लड़के के रूप में ही प्रकट किया था, उसको जैन साधु अपना चेला बना रहे हैं यह वहाँ के ब्राह्मण वर्ग को कुछ अखरा । यह ब्राह्मण वर्ग दिगठान की जागीरदारी से सम्बन्ध रखता था वहाँ के सरकारी अधिकारी मुख्यतः उसी वर्ग के थे जो मंडलोई कहलाते है। और जैन सम्प्रदाय के साथ ब्राह्मण वर्ग का कुछ मनोविरोध रहता ही चला आया है इसलिए उन्होंने मेरी दीक्षा के बारे में भी कुछ आपत्ति उठानी चाही। मुझे उन्होंने एक दिन अपनी कचहरी में भी बुलाया और मुझसे अपने कुटम्ब आदि के विषय में जानकारी चाही तथा मैं क्यों जैन साधु होना चाहता हूँ इस बारे में भी कई सवालादि पूछे परन्तु उनको मेरे विषय में कोई खास जानकारी न मिली, जानने का कोई साधन भी न ज्ञात हुआ तथा मेरे विचारों से भी उनको कोई आपत्ति खड़ी करने जैसी बात न मिली तो वे इस विषय में चुप हो गए। आश्विन शुक्ला १३ के दिन दोपहर को १२ बजे गांव से सारे लवाजमे के साथ और हजारों लोगों के उत्सुकता के साथ दीक्षा का जुलुस निकला, जो गांव में होता हुआ मांडवगढ़ तरफ जाने वाली सड़क www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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