Book Title: Jinvijay Jivan Katha
Author(s): Jinvijay
Publisher: Mahatma Gandhi Smruti Mandir Bhilwada

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Page 179
________________ जैन सम्प्रदाय के स्थानक वासी आम्नाय में दीक्षित होना इन्हीं दिनों उस गांव के जैन भाईयों को समाचार मिले कि दिगठान गांव में एक जैन साधु महाराज ने ५२ दिन के उपवास किये हैं और उन उपवासों का अंतिम दिन अमुक है । उस अवसर पर आस पास के गाँवों के सैकड़ों ही जैन भाई उन तपस्वी साधु महाराज के दर्शन करने निमित्त जाने वाले हैं और उनकी तपस्या के पारणा के दिन सैकड़ों ही श्रावक वहाँ उपस्थित रहेंगे इत्यादि । बदनावर के कई जैन भाई बहिन भी उस समय वहां जाने के लिए उत्सुक हुए। उनमें वह महाजन दम्पति भी थे। जिनके यहां मैं भोजन किया करता था। उन्होंने मुझसे भी कहा कि "चेलाजी महाराज, आप भी हमारे साथ दिगठान चलो" मैंने उसका आनन्द पूर्वक स्वागत किया क्योंकि इसके पहिले मैंने किसी जैन साधु को ठीक से देखा नहीं था, मैं जब बानेण में था तब दो तीन साधु १-२ दिन के लिए वहां फिरते हुए आये थे। परन्तु उनके सम्पर्क में मैं नहीं आया था। मैं उन लोगों के साथ दिगठान चला गया। हमारे वहां जाने के बाद दो तीन दिन पश्चात् उन तपस्वी साधु महाराज का पारणा हुआ उस समय पास पास के अनेक गांवों से जैन भाई बहिन एकत्रित हुए थे। तपस्वी जी महाराज जिन्होंने ५२ दिन के उपवास किए थे वे ही अपने साथ वाले साधुओं के गुरु थे। उनके साथ उस समय तीन और साधु थे जिनमें एक साधु छोटी उम्र के करीब मेरी ही अवस्था के थे उनके पिता भी उनके साथ ही दीक्षित हो गए थे। कोई एक १॥ साल पहिले ही उन पिता-पुत्र ने दीक्षा ली थी वे साधु महाराज Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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