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जन्मस्थान का परिचय
मेरा जन्मस्थान बड़ी रूपाहेली है, जो भूतपूर्व मेवाड़ राज्य की जागीरी का एक प्रसिद्ध ठिकाना है ।
यह गाँव अजमेर, चितौड़ रेल्वे लाइन पर वर्तमान राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा जिले की हुरड़ा तहसील का एक अच्छा कस्बा है। इस ठिकाने के भूतपूर्व स्वामी स्वर्गीय विद्वान् ठाकुर साहब श्री चतुरसिंहजी ने अपने पूर्वजों के इतिहास विषयक एक पुस्तक लिखी है, जिसका नाम "चतुर कुल चरित्र इतिहास'' है। इस पुस्तक में रूपाहेली गाँव का कुछ प्राचीन वृत्तान्त दिया गया है। जो इस प्रकार है :
"अजमेर नरेश महाराजा पृथ्वीराज की राज्य सभा में बाघराव नामक एक सामन्त था जिससे गुर्ज रादि कृषिकार, जाति के मनुष्य सवाई भोज प्रभृति २४ बगड़ावतों की उत्पत्ति मानते हैं जो बड़े उदार गिने जाते थे। और कृषिकारों में उनकी अद्यावधि प्रतिष्ठा होती है ।
उक्त बगड़ावतों का गुरु एक रूपनाथ योगी था जो बड़ा महात्मा गिना जाता था। उसका स्थान अर्थात् रूपनाथ की हवेली इसी ठौर पर थी। अतः ग्राम का नाम भी रूपाहवेली या रूपाहेली प्रसिद्ध हो गया। रूपनाथ तपस्वी एवं वैद्यक शास्त्र में भी प्रवीण था, जिसका प्रमाण उसकी बनाई हुई पुस्तक ग्राम आंगूचा से उपलब्ध होने से मिलता है । अन्त में उक्त योगी ने जीवित समाधि ली थी। जहाँ पर अद्यावधि उसकी पूजा होती है । सारांश, ग्राम रूपाहेली सम्वत् १२८० के आस पास बसाया गया है। जिसको लगभग साढे छः सौ वर्ष
इ स रूपाहेली ठिकाने के मालिक मेड़तिया राठौड़ वंश के हैं।
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