________________
१२]
जिनविजय जीवन-कथा
आकर बसे थे? इत्यादि अनेक प्रकार के प्रश्न मन में उठा करते थे, परन्तु उनके समाधान का कोई साधन प्राप्त नहीं था और न किसी ऐसे पारिवारिक जन का ही कोई पता चला जिससे इस विषय का किंचित् सम्बन्ध ज्ञात हो पाता; किन्तु योगानुयोग से उक्त रूप में अपने पूर्वजों का बहिड़ा रखने वाले बड़वा भाट मेरे पास पहुंच गये और उनके पुराने बहिड़े के आधार पर मैंने अपने निकटवर्ती पूर्वजों के
जो प्राप्त किये वे इस प्रकार हैं :
बड़वा के बहिडे के अनुसार पूर्वजों की बंशावली
मेरे पूर्वज परमार जाति के प्रसिद्ध क्षत्रिय कुल के थे जिनकी राजधानी मालवे की इतिहास प्रसिद्ध धारानगरी थी उसी परमार वंशीय राजकुल की एक शाखा मेवाड़ और मालवे के मध्यवर्ती बिजोलिया नामक स्थान में स्थापित हुई, जिसमें वैरीशाल नामक एक प्रसिद्ध राज पुरुष हुए। वैरीशाल का पुत्र भगवान दास और उनका पुत्र गोपालदास क्रमशः वहां उत्तराधिकारी हुए।
गोपालदास के एक पुत्र अमरसिह हुए जिन्होंने मेवाड़ के आमली नामक गाँव में अपनी स्वतन्त्र जागीर कायम की। - इनकी एक पत्नी कला कँवर थी जो गाँव गुरजणियां वाले राठौड़ उदयभाणजी की बेटी थी दूसरी पत्नी उछब कॅवरथी जो गांवआम्बोदिया वाले कच्छावा राजसिंहजी की बेटी थी।
अमरसिंहजी की एक बेटी लाडकंवर थी जो झाला राव राजा भैरोंसिंहजी सादड़ी वालों को ब्याही थी।
अमरसिंहजी के पुत्र महासिंह हुए:-इनकी पत्नी भूरकवर झाली जो, ताणावासी भूपतसिंहजी की बेटी थी। - महासिंह के पुत्र सगतसिंह हुए:-इनकी पत्नी प्रेमकुंवर थी जो गाँव पारसोली वाले चौहान किसनदास की बेटी थी।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org