Book Title: Jindutta Kathanakam
Author(s): Omkarshreeji
Publisher: Jain Atmanand Sabha
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प्रस्तावनी
१५११ मा प्रतिष्ठित थयेली छे । आथी ग्रंथकारनो सत्तासमय विक्रमना पंदरमा शतकना उत्तरार्धथी १६ मा शतकना पूर्वर्धना समयना अतर्गत कही शकाय । - उक्त लेख संग्रहना प्रथम भागमा लेखांक १०१७ मां नेांधायेली श्री चन्द्रप्रभस्वामिनी धातुप्रतिमा, ग्रंथकारना उपदेशथी तिमिरपुर नगरमा हापाक नामना शेठे बनावरावी छे, अर्थात् ग्रंथकारना उपासकोमा हापाक नामना शेठ पण हता । आम छतां प्रस्तुत ग्रंथमां चित्तव्यामोहना निषेध माटे जे एक अतिकृपण शेठनुं कल्पित विनोद दृष्टांत आप्यु छे ते शेठनु नाम हापाक केम राख्यु हशे ? नाम तो ग्रंथकार बीतुं पण आपी शक्या होत !
संक्षिप्त कथासार
प्रारंभमां श्री वर्धमानस्वामि भगवानने नमस्कार करीने धर्मफल एवं पुण्यफलनु प्रतिपादन करवा माटे जिनदत्तकथानक रचवानी प्रतिज्ञा जणावी छ । जिनदत्तनी बाल्य-युवावस्था, लग्न अने द्यूतप्रसंग , अरिमर्दननृप शासित वसंतपुर नगरमां जीवदेव नामना शेठ वसे छे । तेमनी पत्नीनु नाम जिनश्री अने पुत्रन नाम जिनदत्त छ।
जिनदत्त नानी वयथी ज धर्मनिष्ठ सद्गुणी अने निरंतर साधुजनोनी सेवा करे छे । ने युवान थाय छे त्यारे तेनु, चंपापुरीनिवासी विमलशेठनी पुत्री विमलमतीनी साथे लग्न करावाय छे । जिनदत्त एकांत धर्मकार्यरत होवाथी सांसारिक बाबतोथी सर्वथा अलिप्त रहे छ । आथी घणी चिंता अने परामर्श करीने अन्य उपाय न सूझतां जिनदत्त सांसारिक भोग-विलास तरफ आकर्षाय' ए आशयथी जीवदेव शेठे जुगारी युवानोने सूचना करी के-मारा पुत्र जिनदत्तने तमे तमारा मंडलनो सभ्य बनावो । जुगारीओए युक्ति रचीने जिनदत्तने जुगार रमतो को।
जिनदत्तनुं देशाटन
एकदा जुगारमा बहु द्रव्य हारवाथी, जिनदत्तो लखेली चिट्ठी अनुसार ते द्रव्य, पिताना खजानचीए न मोकलाव्य । आ वात विमलमतीए जाणो तेथी तेणे पोतानो कीमती कंचुको अडाणे मूकावीने जिनदत्ते हारेखें द्रव्य भरपाई कराव्यु ।
जीवदेव शेठे द्रव्यव्ययना संबंधमां जिनदत्तने आश्वासन आप्यु छतां स्वमानी जिनदत्से द्रव्योपार्जन माटे पितार्नु घर छोडवानो निश्चय करीने, पोताना ससरानो बनावटी पत्र लखावीने, पोताना पिताजीने पहोंचाइयो । आथी जीवदेवशेठे जिनदत्त अने विमलमतीने चंपापुरी जवा माटे सूचना करी ।
__चंगपुरीमा पहेांच्या पछी सासराना त्यां वधारे रहेवु अनुचित मानीने, एक दिवस कोई न जाणे तेम जिनदत्तो देशाटन करवा माटे प्रयाण कयु ।
श्रीमतीपरिणयन
अज्ञात रीते चंपापुरीथी नीकळेलो जिनदत्त दशपुर नगरना बहारना प्रदेशमा एक सूकी वाडीमां आराम लेवा माटे सुई जाय छे । जिनदत्तना पुण्यप्रभावी सूकी बाडीने नवपल्लवित थएली जोईने माळीए पोताना औदत्त नामना शेठने समाचार आप्या । औदत्तशेठ वाडीमां आवीने जिनदत्तने पोताना घरे लई जाय छे । पोते अपुत्र होवाथी जिनदत्तने पुत्र तरीके राखे छे।

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