Book Title: Jindutta Kathanakam
Author(s): Omkarshreeji
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 20
________________ ९ कुरूप वामननी साथे मदनमंजरी केम परणावी शकाय ? आ चिंताथी, वामननी मागणी छतां राजा कोईने कोई बहाने दिवसो वितावे छे । प्रस्तावना जिनदत्तनुं मूलस्वरूपे प्रकट थवु अने मदनमंजरीपरिणयन केटलाक दिवस पछी चंपापुरीना बहार उद्यानमां आवेला केवलज्ञानी भगवाननी देशनाना अंते राजाना पूछवाथी केवली भगवाने जणाव्युं के वामन ए ज जिनदत्त छे । आ पछी राजा अने पोतानी त्रण पत्नीओनी विनंतिथी जिनदत्ते पोतानुं मूल रूप प्रकट कर्यु अने सौ आनंदित थयां । चंपानरेशे पुत्री मदनमंजरीने जिनदत्तनी साथे परणावीने, पोते अपुत्र होवाथी समग्र राज्य जिनदत्तने आपीने श्री गुणाकरसूरिनी पासे दीक्षा लीधी । जिनदत्त पोतानी चार पत्नीओ साथे चंपानगरीमां आनंद-प्रमोदथी राज्यसुख भोगवे छे, विमलमती, श्रीमती अने विद्याधरीने जे परिताप थयो तेनुं शास्त्रीय समाधान करे छे । आम तेमना दिवसो सुखमां पसार थाय छे । जिनदत्तनुं वसंतपुरगमन एक दिवस माता - पितानुं स्मरण थतां पोताना सैन्य अने परिवारनी साथे जिनदहो वसंतपुर तरफ प्रयाण कर्यु । मार्गमां अनेक राजाओ वगेरेनी भेट-सोगाद लेतो लेतो जिनदत्त वसंतपुर नजीक पांच्यो । वसंतपुरना अरिमर्दन राजाए विचायु के मोटा सैन्य साथे कोई राजा चढी आव्यो छे । आथी पोतानी अल्पक्षमताने लीधे तेणे नगरनां द्वार बंध करावीने रहन- सुवर्णनुं भेटणु आपीने प्रधानोने जिनदत्त राजानी पासे मोकल्या । अरिमर्दन राजाना सात्त्विक गुणनी परीक्षा करवाना आशयथी जिनदो प्रधानोने सूचव्यु - 'मारे कोई भेट - सोगाव लेवी नथी, पण नगरमां वसता जीवदेव शेठ अने तेमनी पत्नीने बांधीने मने सांपी दो तो ज तमने जता करु, नहीं तो युद्ध माटे तैयार थाओ' । प्रधानो द्वारा जिनदत्तनी मागणी जाण्या पछी विस्तारथी चर्चा - विचारणा करीने अरिमर्दन राजाए ते मागणी न स्वीकारी अने नगरनां द्वार बंध करावी दीघां । 'पोताना कारणे नगरजनो, राजा अने समग्र राज्यने कष्ट थशे' एम विचारीने, पोतानी पत्नी साथे जीवदेव शेठ, कोई न जाणे तेवी रीते नगरमांथी नोकळीने जिनदत्तनी समक्ष उपस्थित थाय छे । जीवदेव शेठ द्वारा ' ते राजाज्ञाथी नहीं पण गुप्त रीते स्वयं अरिमर्दन राजाना सत्त्वगुणथी प्रभावित थाय छे। लांबी चर्चा अने समक्ष पोतानी पुत्र रूपे ओळख आपीने तेमना पगमां पडे छे । आव्या छे' आ हकीकत जाणीने जिनदत्त, वार्तालापना अंते जिनदत्त, माता-पितानी वियोगना दिवसोनी वीतक कथा माता-पिता द्वारा जाणीने जिनदत्त तेमने आश्वासन आपे छे । प्रसंगोपात्त जीवदेव शेठे वृद्धत्वनो निर्देश करीने पोतानी संयम लेवानी इच्छा जणावी त्यारे जिनदो तेमने साथे रहेवा माटे विनयपूर्वक विनंति करी अने जीवदेव शेठे ते स्वीकारी । ज्यारे राजपुरुषो द्वारा अरिमर्दन राजा बधी हकीकत जाणीने जिनदत्तने मळवा आवे छे त्यारे जिनदव सम्मुख जईने तेमने आदरपूर्वक पोतानी पासे बेसाडे छे अने विस्तारथी वार्तालाप करे छे । जिनदहो सम्मुख उपस्थित जनसमूहमां बेठेला जुगारीओ द्वारा गीरो मुकावेलो रत्नकंचुक मंगावीने विमलमतीने आप्यो ।

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