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रोमाञ्चक घटनामों में भरा पड़ा है। रत्नबूड ने एक मदोन्मत्त गज का दमन किया था किन्तु वह गज के रूप में विद्याधर था अतः उसने रलचूड़ का ही अपहरण कर उसे जंगल में ला फटका । इस के पश्चात् यह नाना प्रदेशों में भ्रमण करता रहा और उसने अनेक सुन्दर राजकन्यायों से विवाह किया, अनेक विद्याथे प्राप्त की। तदनंतर राजधानी पाकर उसने कितनों हो वर्षों तक राज्य सुख मोगा और अन्त में साचु जीवन अपना कर स्वर्ग लाभ लिया। रत्नचुर के जीवन पर प्राकृत भाषा में अनेक रचनायें मिलती हैं
मागकुमार
श्रुतपंचमी व्रत के माहात्म्य को प्रगट करने के अवसर पर नागकुमार के जीवन का वर्णन किया जाता है | नागकुमार कनकपुर के राजा जयन्धर एक रानी पृथ्वी देवी का पुत्र था । शौयाव में नागों के साथ रक्षा किये जाने के कारण उसका नागकुमार नाम पड़ा । नाग देश में ही अनेक विद्यायें सीखकर वह युवा हुमा और वहां की मुन्दर किन्नरियों से उसने विवाह किया । नागकुमार का सौतेला भाई श्रीधर उत्ससे विद्वेष रस्त्रता घा । नागकुमार जब नगर के एक मदोन्मत हाथी को बग करने में मफल होगया तो श्रीधर और भी कुपित हो गया।
नागकुमार अपने पिता की सलाह मानकर कुछ समय के लिये विदेश भ्रमण के लिये चला गया। सर्व प्रथम वल मथुरा पहुंचा और वहाँ के राजा की कन्या को बन्दीगुह से निकाल कर काश्मीर पहुँचा जहाँ पर वीणा बादन में त्रिभुवनरति को पराजित करके उसके साथ विवाह किया । रम्यक वन में उसका काल गुफाधासो भीमासुर से साक्षात्कार हुमा । कांचन गुफा में गट्च कर उसने अनेक विद्याय एवं अपार सम्पत्ति प्राप्त की। इसके पश्चात् उसकी गिरिशिखर के राजा बनराज से भेंट हुई और ऊर्जयन्त पर्वत की पोर उसकी पुत्री लक्ष्मी से उसने विवाह किया । नागकुमार वहाँ से ऊर्जयन्त पर्वत की ओर गया । वहां उसने सिन्ध के राजा चंप्रद्योत से अपने मामा
अठारा