________________
५२
जैनत्व जागरण.....
जैनियों के एक वर्ग की मान्यता है कि मल्लिनाथ को स्त्री रूप में कैवल्य की प्राप्ति हुई थी। सुमतिनाथ, अरनाथ, मल्लिनाथ, अनन्तनाथ आदि तीर्थंकर असुर थे । मिस्त्र, सीरिया, बेबीलोन आदि में इनकी उपासना प्रचलित थी तथा ये क्षेत्र वृषभ संस्कृति का केन्द्र था । बेबीलोन के जैन राजा नेबूचंदनेझर
Times of India (1935) में प्रकाशित एक लेख में एक ताम्रपत्र की खोज का विवरण आया था । जिसे डॉ. प्राणनाथ ने पढ़कर बताया कि बेबीलोन के राजा नेबूचन्द्र नेझार ने रेवत गिरि पर नेमिनाथ के मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया था । लेकिन इस पर आज तक विद्वानों ने कोई ध्यान नहीं दिया ।
The King Nebuchad Nazzar belonged to the Sumerian tribe has come to the place (Dwarika) of the Yadu Raja. He has built a temple and paid homage and made the great perpetual in favour of Lord Nemi of paramount deity of Mt Ravata. (Times of India, 1935).
जैन साहित्य में अनार्य भूमि के आर्द्रकुमार का वर्णन आता है जिसने श्रेणिक पुत्र अभयकुमार की प्रेरणा से प्रतिबोध पाकर भगवान महावीर से दीक्षा ली थी। प्रश्न उठता है कि यह आर्द्र देश कहाँ पर है ? मैसोपोटामिया केतीन भाग थे असीरिया या असुर, किश और दक्षिणी भाग जिसकी राजधानी एर्ज थी । बाद में ये तीनों क्षेत्र मिलकर बेबीलोन बन गये । एर्ध नगर एक समृद्धशाली प्रमुख बन्दरगाह था । जहाँ से भारत के साथ सीधा जलमार्ग का सम्बन्ध था । कालान्तर में नदी के कटाव के कारण बन्दरगाह भर गया
और इसका महत्व कम होता गया । ६०० ई. पूर्व बेबीलोन का सम्राट नेबूचन्द्र नेजर था जो भगवान महावीर का समकालीन था, यह बहुत ही शक्तिशाली था । उसने अनेक देशों को जीता था । मैगस्थनीज ने इसके विषय में लिखा
- Nebuchad Nazzer King of Babylonia surpassed Herakles in courage and the greatness of his achievements.
इसका बना Hanging garden विश्व प्रसिद्ध है। उसके द्वारा निर्मित