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जैनत्व जागरण.....
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जैनधर्म का एक प्रधान-केन्द्र था । अतएव जिस समय कलिंग में जैनधर्म का इतना प्राधान्य था । उस समय बंगालदेश में भी जैनधर्म का बहुत प्रभाव था ऐसा स्वीकार करना अनुचित न होगा । यहां इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि मुसांग ने भी कलिंगदेश में जैन-संप्रदाय का ही प्रभाव सब से अधिक देखा था, ऐसा उल्लेख किया है । तथा उस समय बंगालदेश के नाना स्थानों में भी जैनों का प्रभाव खूब ही अधिक था । उपयुक्त हाथीगुफा के लेख से यह बात भी जानी जाती है कि सम्राट खारवेल के शासनकाल में कलिंग में ब्राह्मणों का अभाव नहीं था । तथा सम्राट स्वयं जैनधर्मानुयायी होते हुए भी उसने ब्राह्मणों के प्रति यथेष्ट दाक्षिण्यता बतलाई थी। हाथीगुफा के लेख में बौद्धों का कुछ भी उल्लेख नहीं है।
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