Book Title: Jainatva Jagaran
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 286
________________ २८४ जैनत्व जागरण..... तेलकूपी गाँव के बीचवाला देवालय पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है । वैशाख या जेठ (ज्येष्ठ) के महीनों के अलावे यह सारा साल पानी में डूबा रहता है। फिलहाल यह पानी से आठ फुठ की ऊँचाई पर खड़ा है । इसकी निर्माण प्रक्रिया कुछ स्वतन्त्र प्रक्रिया के आधार पर भी हुआ है । यह देवालय स्तरों पर बना हुआ है । एक स्तर से दूसरे स्तर तक की ऊँचाई दो फुट की दूरी पर स्थित है। यह भी ५०-५५ फुट का है। लेकिन पश्चिम दिशा की तरफ बस हुआ है । पहले अंदर मूर्ति थी पर अब नहीं है । शीर्षक बिजली गिरने के कारण ध्वंस हो चुका है। पहले इस पर चूने का लेप लगा था और उस पर कलाकारी की गई थी। अब यह सबकुछ ध्वस्त हो चुका है, धुल चुका है । द्वार के दोनों तरफ दो बैल और शेर की मूर्ति बनी है। इससे पता चलता है कि भीतर तीर्थंकर आदिनाथ एवं महावीर स्वामी की मूर्ति बनी हुई थी। इस देवालय से दो किलोमीटर की दूरी पर कुछ कम पानी में एक और देवालय खड़ा है। यह उत्तरमुखी है एवं इसकी निर्माण शैली पहले मंदिर जैसी है। इसके माथे का अंश सम्पूर्ण नष्ट न होते हुए भी लगभग विनाश के कगार पर ही खड़ा है। शीर्षक के आमलक अंश के कई पत्थर के टुकड़े गिर चुके हैं । सिर्फ एक गोल पत्थर किसी तरह अटका हुआ है। यह देवालय भी ५० फुट के करीब ऊँचा था । जिस तरह से पानी के निरन्तर स्पर्श से ये देवालय नष्ट होते जा रहे हैं- कब इनका ढाँचा पूरी तरह से फंस जाएगा, कहा नहीं जा सकता । अब तेलकूपी के मंदिर के बाद मूर्ति की बात आती है । जब यहाँ बीस देवालय थे या उससे भी पहले के खंडहरों में सैकड़ों मूर्तियां बनी हुई थी लेकिन ये सारे देवालय पानी के नीचे जा चुके है। सिर्फ गुरुडी, तारापुर और लालपुर के सहृदय कुछ एक लोगों की कोशिश के कारण आज सिर्फ दो मंदिर ही बच पाए हैं । यहाँ की मूर्ति के प्रसंग में काशीनाथ देवरिया ने लिखा था- "बिहार में रहते समय चौथी कक्षा के भूगोल में १३ मंदिरों की बात पढ़ी थी । जितना याद है- दामोदर के दक्षिण में ये

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