Book Title: Jainatva Jagaran
Author(s): Bhushan Shah
Publisher: Chandroday Parivar

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Page 291
________________ जैनत्व जागरण....... २८९ I बान्दा का देवालय, रेख शैली में बना देवालय है । एक विशाल पत्थर के अहाते पर देवालय खड़ा है । अहाता लगभग १५० फुट चौड़ा और २५० फुट लम्बा है । देवालय उत्तर दिशा की तरफ बना है । सामने का बड़ा बरामदा पत्थर से बना हुआ था, इसका कुछ अंश अब भी बरकरार है, पर काफी अंश पर अभी तैयारी होना बाकी है । लेकिन सम्पूर्ण अहाते को देखने से पता चलता है कि यह बरामदा कितना विशाल था । I देवालय के प्रवेश पथ की ऊँचाई ६.५ फुट है, चौड़ाई लगभग ३ फुट की है । चार बड़े पत्थर के टुकड़ों को खोदकर प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया है । पत्थरों के पास रेखाएँ खुदी हुई है और उन पर चित्रकारी की गई है। कोई बाँसुरी बजा रहा है, कोई नृत्य कर रहा है आदि । परन्तु इनपर सीमेन्ट का लेप लगाए जाने के कारण ज्यादातर चित्र नष्ट हो चुके है । सरकारी कामकाज में संरक्षण के नाम पर प्राचीन संग्रहों को बिगाड़ने का अच्छा उदाहरण इससे मिलता है । I 1 I बान्दा का रेख देवालय अपनी भक्ति भूमि पर वर्गक्षैत्रीय है । नीचे के अंश का परिमाप लम्बाई व चौड़ाई में १४ फुट है । देवालय की अनुमान से ऊँचाई ७२ फुट है | बन्धना अंश के परवर्ती पत्थर के खंडों की आकृति स्तर पर काटे हुए कलश की तरह है । पत्थरों को ऐसी कुशलता से बिठाया गया है कि दोनों के बीच एक पतली छुरी भी नहीं जा पाती । नीचे के हिस्से में पत्थरों के जुड़ान ने लोहें की पिन जैसी जुड़ान औजारों का व्यवहार हुआ है, जिसे देखने पर आश्चर्य होता है कि उस जमाने में किस प्रकार बिना किसी उन्नत औजार के ऐसी वैज्ञानिक तरीकों से मंदिर बनाना संभव हुआ था । बान्दा के देवालय जैसे पाड़ा, तेलकूपी, देउलघाटा, बुधपुर, पाकबिड़रा आदि के देवालय बने हुए थे । लेकिन सरकारी नजर न पड़ने के कारण ये सारे देवालय सदा के लिए मिट चुके है । इनकी बनावट की वैज्ञानिक शैली भी बान्दा के देवालय जैसा ही था, इसका प्रमाण आज भी देखने को मिलता है । देवालयों के तीनों तरफ कलाकारी नजर में आती है । पहले हो सकता है, सामने देवी-देवताओं की मूर्ति बनी हुई थी या कलाकारी किये गये

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