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जैनत्व जागरण.....
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दुर्गापूजा के समय हर नवमी को यहाँ मेला बैठता है।
(३) रघुनाथजी का मंदिर : पाड़ा गाँव के भीतर पश्चिम छोर पर कुइरी मुहल्ले में ईंट और पत्थर से बना एक मझौले आकार का मंदिर है । बाहर से देखने पर दो मन्दिर जैसा हमें लग सकता है। मंदिर का नीचे से आधा अंश पत्थर का बना है और ऊपर का अंश ईंट से बना है । मंदिर के प्रवेशद्वार पर अर्धवृत्त आकार के पत्थर का दरवाजा नजर आता है । उसके सामने जो खुला अंश है, वह असल में बरामदा है । दोनों मंदिर के शीर्षभाग ईंटों से बने है। और बड़े से सूक्ष्म होते हुए वृत्त आकार में ऊपर की तरफ उठकर बिन्दु में पहुँचकर शीर्ष का निर्माण किया
थोड़ा सा भीतर जो कमरा अंधकार में है, वही असल में मूल मंदिर है। वहाँ एक बड़ी वेदी स्थापित है। पहले इस पर कोई मूर्ति रही होगी पर आज वेदी खाली पड़ी है। इस मंदिर के दरवाजे के ऊपर एक शिलालेख है, परन्तु निरन्तर लोगों के अत्याचार के कारण इसे पढ़ पाना मुश्किल होगा। इसके उद्धार होने पर बहुत सारी बातें सामने आएगी। फिलहाल यहाँ कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण की मूर्ति बनाकर पूजी जाती है ।
अब मंदिर निर्माण के समयकाल पर आते है। दूसरे स्थानों की तरह, 'यहाँ भी कोई प्रामाणिक सत्र नहीं है। हमारा अनुमान है कि पाड़ा के पत्थर
का देवालय नवीं सदी का है, और देउलपाड़ा के अनुकरण में तैयार किए गए पाड़ा के ईंटवाले देवालय का समयकाल दसवीं से ग्यारहवीं शताब्दी है। राधारमण मंदिर देखने से लगता है कि ये हाल ही में बना हुआ है। ऐसा भी हो सकता है कि पहले उस स्थान पर दूसरा कोई मंदिर होगा, जो प्राकृतिक कारणों से टूट जाने पर यह मंदिर और उसके ऊपर का हिस्सा पत्थर के अभाव में ईंट से ही बनाया गया था। इस मंदिर ने एक द्विरत्न मंदिर का रूप अर्जित किया है । ऐसी कहावत है कि मानसिंह के समय पुरुषोत्तम दास ने ही मंदिर बनाया था । ___जो भी हो, पाड़ा में वर्तमान समय में नहीं आई हैं कोई मूर्ति नजर न आई । लगता है, सारी मूर्तियाँ हटा ली गई है । जे. डी. बेगलार ने