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जैनत्व जागरण.....
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Vikramadity's kingdom from Dulmi and Patkom to Ichhả on the Suvarnarekha river in the building of the Chandil Dam, wherein scores of Jain Temples and villages were submerged. A few pieces were salvaged by zealous local conservationists and found place in a small museum at Patkom.
जो स्वयं सक्षम होते हुए भी आगे नहीं बढ़ते उनकी सहायता कोई नहीं करता इसलिये हमें स्वयं आगे बढ़ना होगा, गंतव्य सामने है । अतीत की विरासत वर्तमान की पूंजी है और सुन्दर भविष्य का सपना भी । अतः समय रहते ही उसे संभालना होगा।
लुप्त होती जा रही प्राचीन सराक संस्कृति, उनके निदर्शन और परम्पराएं जो हमारे इतिहास की अत्यन्त प्राचीन धरोहरें है और जिनका अवदान भारतीय संस्कृति के विकास में अमूल्य रहा है । उन सराकों को अतीत के अन्धकार से पुनः आलोक के पथ पर लाने का प्रयास हर उस व्यक्ति के लिये गौरव की बात होगी जिसको भारतीय संस्कृति और सभ्यता से लगाव है । अन्त में स्वर्गीय नेमिचंदजी जैन की उद्धृत हैं ।
महावीर ने राढ़ की कुटियों में जो लघुदीप कभी प्रज्वलित किया था, क्या उसकी. लौ का काजल आज हम हटा पायेंगे ? क्या सराकजन के रूप में हमारे जो पुरखे यहाँ हैं, उन्हें हम बगैर पंथभेद के सहेज पायेंगे? अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकान्त की आज सैकड़ों भूमिकाएं हो सकती हैं लोकजीवन के विभिन्न क्षेत्रों में, किन्तु क्या राढ़-अंचल में हुई महावीर की तितिक्षा सांधना को पुनजीवित करने का खतरा मोल लेने की हिम्मत कोई आज कर पायेगा ।
सराक क्षेत्र का महातीर्थ उदयगिरी सिद्धक्षेत्र
कलिंग-वर्तमान उड़ीसा प्रदेश । भगवान ऋषभदेव ने जब कर्मभूमि का प्रारंभ किया तब इस देश को ५२ प्रदेशों में विभाजित किया उनमें एक कलिंग भी था । भगवान ऋषभदेव ने अपने एक पुत्र को यहाँ का राज्य दिया था। कलिंग देश में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के पुत्र ने पहले