________________
जैनत्व जागरण.....
धर्मों का प्रादुर्भाव हुआ । यह क्षेत्र सात बड़े समुद्रों से घिरा हुआ है । कैलाश के पश्चिम में ही हिमाचल, सिन्धुघाटी, और कश्मीर भी पड़ता
इसरो के वैज्ञानिक डॉ. पी. एस. ठक्कर के अनुसार कैलाश के पश्चिम में भारत चीन सीमा पर स्थित तीर्थ पुरी प्राचीन अयोध्या हो सकती है। ऋषभदेव की जन्मस्थली होने के कारण वह तीर्थपुरी कहलाने लगी । प्रसिद्ध आस्ट्रियन खोजकर्ता ब्रोनो बोमेन ने तीर्थपुरी के निकट सतलज नदी के किनारे अनेक ध्वंसावशेष खोजे है जो वहाँ पर एक उन्नत प्राचीन सभ्यता के होने की पुष्टि करते हैं । ऋषभदेव की जन्मभूमि तीर्थपुरी से बद्रीनाथ क्षेत्र के निकटवर्ती स्थानों पर भी अनुमानित कर सकते हैं । बद्रीनाथ को निर्वाण स्थली मानना उचित नहीं होगा क्योंकि जैनेतर साहित्य में, पुराणों में भी बद्रीनाथ को विष्णु की जन्मस्थली के रूप में मान्यता दी गई है। बद्रीनाथ क्षेत्र में नाभिराजा के चरण होने की मान्यता भी यह प्रमाणित करती है कि यह क्षेत्र ऋषभदेव स्वामी का जन्म स्थल हो सकता है । ऋषभदेव धर्म के आदिस्वरूप थे और सभी प्राचीन धर्मों में उनको किसी न किसी रूप में पूजा गया है । भागवत में उनके विषय में लिखा है
धर्मब्रवीषी धर्मज्ञ धर्मोसि वृषभ रूप धृक् । यद्धर्मकृतः स्थानं सूचकस्यापि सद्भवेत ॥
(भागवत १।११।२२) हे धर्मतत्त्व को जानने वाले ऋषभदेव ! आप धर्म का उपदेश कर रहे हैं। अवश्य ही आप वृषभरूप में स्वयं धर्म है । अधर्म करने वाले को जो नरकादि स्थान प्राप्त होते है, वे ही आपकी निन्दा करने वाले को मिलते हैं ।
कैलाश की एक ऐसी जगह है जहाँ सभी प्रमुख धर्मों के लोग आते हैं और कैलाश को बहुत ही पवित्र और पूज्य मानते हैं । 'The Throne of The God # Arnold Heim and August Gansser À fa - The fundamental idea of Asiatic religions is embodied in one of the most magnificent temples I have ever seen, a sunlight temple of rock and ice. Its remarkable structure, and the