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जैनत्व जागरण.....
दिखायी पड़ा, वह जगह कैलाश पर्वत के पूर्वी छोर में अवस्थित है जो कैलाश का ही हिस्सा है। वहाँ का जो नक्शा है उसमें उस जगह का नाम धर्म राजा नरसिंह उल्लिखित है और ये नाम ही हमारे संदेहों का निवारण करके सिंहनिषधा प्रासाद की जगह को चिन्हित करता है । ये भगवान की चिता अग्नि संस्कार की जगह पर बनाये गये स्तूप के पास की भूमि पर भरत चक्रवर्ती द्वारा बनाये सिंहनिषधा प्रासाद की अवस्थिति को दर्शाता है। धर्म राजा, नरसिंह का अर्थ धर्म के राजा अर्थात् सबसे पहले धर्म का प्रवर्तन करने वाले, नरसिंह का स्पष्टीकरण जैन सूत्रों में वणित तीर्थंकरों के लिये परिस-सिहांण शब्द जिसका अर्थ पुरुषों में सिंह के समान निर्भीक, पर आक्रमणकारी नहीं होता है । यह तीर्थंकरों का एक विशिष्ट विशेषण भी है । अतः ये दोनों शब्द सिंहनिषधा प्रासाद के अर्थ से मेल खाते हैं । निषध शब्द का अर्थ राजा के लिये होता है राजा यानि सर्वश्रेष्ठ ।
कैलाश ही एक ऐसा तीर्थक्षेत्र है जो सभी धर्मों का श्रद्धा केन्द्र है। सभी धर्मों के लोग वहाँ जाते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पण करते हैं। पश्चिमी देशों के लोग भी कैलाश को अत्यन्त पवित्र मानते हैं । इस विषय से सम्बन्धित प्रश्न के उत्तर में प्रसिद्ध Austrian explorer Bruno Baumann ने जो प्रत्येक वर्ष कैलाश की यात्रा करते हैं, कैलाश के विषय में कहा- “I regard Kailash and the region around spiritually as one of the most powerful places on earth and I feel a need to expose myself to that sacred energy. It is important for me to be in touch with this it enlightens me and bring me closer to my goal in life."
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं का विकास पश्चिमी एशिया में सबसे पहले हुआ जिसमें प्रमुख है असीरिया, बेबीलोनिया, ईरान, आरमीनिया, अजरबेजान, बहराइन, साइप्रस, इजराइल, जोर्डन, कुवैत, लेबनॉन, ओमान, कतार, सऊदीअरेबिया, सीरिया, तुर्की, यमन, अफगानिस्तान और यूनाईटेडअरंबमीरत आदि है । इसमें हम Egypt को भी सम्मिलित कर सकते हैं । पश्चिमी एशिया में ही इस्लाम, ईसाई, यहूदी, पारसी, आदि