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श्वेताम्बर श्रमण संघ का प्रारम्भिक स्वरूप ३. शिवभूति
१६. संघ पालित ४. दुर्जयन्त कृष्ण
१७. आर्य हस्ति ५. भद्र
१८. आर्य धर्म ६. नक्षत्र
१९. आर्य सिंह ७. रथ
२०. आर्य धर्म ८. नाग
२१. आर्य जम्बू ९. जेष्ठिल
२२. आर्य नंदियमापिय १०. विष्णु
२३. दूष्यगणि ११. कालक
२४. स्थिरगुप्त १२. कुमारभद्र
२५. कुमारधर्म १३. संपलित
२६. देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण स्थविरों की उक्त तालिका में दुर्जयन्त कृष्ण और कुमारभद्र को छोड़कर शेष नाम वही हैं, जो पूर्व में हम कल्पसूत्र की. 'स्थविरावली' के द्वितीय खंड में देख चुके है । इस विस्तृत 'स्थविरावली' अर्थात् 'स्थविरावली' के द्वितीय खंड में आये शाण्डिल्य के गुरु का नाम धर्म आया है, जब कि ऊपर हम देख चुके हैं, 'स्थविरावली' के तृतीय खंड में आर्यज़म्बू के गुरु का नाम धर्म मिलता है । इस प्रकार आर्य शाण्डिल्य और आर्य जम्बू परस्पर गुरुभ्राता सिद्ध होते हैं । आर्य धर्म के पश्चात् दो अलग-अलग शाखायें हो जाती हैं, जिन्हें निम्न रूप में रखा जा सकता है ।
आर्यधर्म
आर्यजम्बू
आर्य शाण्डिल्य
नंदियमापिय
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