________________ 33 महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के बढ़ने को उत्कर्षण कहते हैं। 18. प्रश्न : अपकर्षण किसे कहते हैं ? उत्तर : जीव के परिणामों का निमित्त पाकर कर्म के स्थिति-अनुभाग के घटने को अपकर्षण कहते हैं। 19. प्रश्न : संक्रमण किसे कहते हैं ? उत्तर : विवक्षित कर्म प्रकृतियों के परमाणुओं का सजातीय अन्य प्रकृतिरूप परिणमन होने को संक्रमण कहते हैं। जैसे - विशुद्ध परिणामों के निमित्त से पूर्वबद्ध असाता वेदनीय प्रकृति के परमाणुओं का साता वेदनीयरूप तथा संक्लेश परिणामों के निमित्त से साता वेदनीय के परमाणुओं का असाता वेदनीयरूप परिणमन होना। * इसमें भी इतनी विशेषता है कि 1. मूल प्रकृतियों में परस्पर संक्रमण नहीं होता। 2. चारों आयु कर्मों में आपस में संक्रमण नहीं होता; क्योंकि एक ही आयु का उदय होता है। 3. मोहनीय का उत्तरभेददर्शनमोहनीय का चारित्रमोहनीय में संक्रमण नहीं होता। 4. दर्शनमोहनीय का दर्शनमोहनीय के भेदों में एवं चारित्रमोहनीय का चारित्रमोहनीयकर्म के भेदों में परस्पर संक्रमण होता है। 20. प्रश्न : उपशांत किसे कहते हैं ? उत्तर : जो कर्म उदय में नहीं आ सके, सत्ता में रहे, वह उपशांत कहलाता है। * सत्ताविर्षे तिष्ठता अपनी-अपनी स्थिति को धरै हैं ज्ञानावरणादिक कर्म का द्रव्य जा विषै, जाकी जावत् काल उदीरणा न होय तावत् काल उपशांत करण कहिए। * उपशांत करण आठों कर्मों में होता है। * उपशांत अवस्था को प्राप्त कर्म का उत्कर्षण, अपकर्षण और संक्रमण हो सकता है; किन्तु उसकी उदीरणा नहीं होती। * कर्मों की दस अवस्थाओं में उपशांतकरण है। 21. प्रश्न : उपशम किसे कहते हैं ? उत्तर : आत्मा में कर्म की निजशक्ति का कारणवश प्रगट न होना,