________________ महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 47 89. प्रश्न : केवल समुद्घात किसे कहते हैं ? उत्तर : अपने मूल परम औदारिक शरीर को छोड़े बिना आत्म-प्रदेशों के दण्डादिरूप होकर शरीर से बाहर फैलने को केवल समुद्घात कहते हैं। 90. प्रश्न : केवली भगवान के समुद्घात क्यों होता है ? / उत्तर : आयुकर्म की स्थिति अल्प हो और शेष तीन अघातिया कर्मों की स्थिति आयु की अपेक्षा अधिक होने पर, अन्य तीन कर्मों की स्थिति आयुकर्म के समान अंतर्मुहूर्त करने के लिए केवली भगवान के समुद्घात होता है। 91. प्रश्न : मारणान्तिक समुद्घात किसे कहते हैं ? उत्तर : मरण के अंतर्मुहर्त पूर्व नवीन पर्याय धारण करने के क्षेत्र को स्पर्श करने के लिए मूल शरीर को छोड़े बिना आत्मप्रदेशों के बाहर निकलने को मारणान्तिक समुद्घात कहते हैं। जिन्होंने परभव की आयु बांध ली है, ऐसे जीवों के ही मारणान्तिक समुद्घात होता है। 92. प्रश्न : अनादि मिथ्यादृष्टि जीव किसे कहते हैं ? उत्तर : अनादिकाल से आज पर्यंत जिस जीव ने मिथ्यात्व का नाश नहीं किया अर्थात् सम्यक्त्व की प्राप्ति नहीं की ऐसे जीव को अनादि मिथ्यादृष्टि जीव कहते हैं। 93. प्रश्न : सादि मिथ्यादृष्टि जीव किसे कहते हैं ? उत्तर : एक बार सम्यग्दर्शन प्रगट हो जाने पर भी पुनः पुरुषार्थहीनता से मिथ्यात्वी हो जानेवाले जीव को सादि मिथ्यादृष्टि जीव कहते हैं। 94. प्रश्न : योग किसे कहते हैं ? उत्तर : कर्मों के ग्रहण करने में निमित्तरूप जीव के प्रदेशों की परिस्पन्दनरूप पर्याय को योग कहते हैं। 95. प्रश्न : योग के कितने भेद हैं ? उत्तर : योग के दो भेद हैं - 1. भावयोग, 2. द्रव्ययोग। 96. प्रश्न : भावयोग किसे कहते हैं ? उत्तर : कर्म-नोकर्म के योग्य पुद्गलमय कार्मण वर्गणाओं को ग्रहण करने में निमित्तरूप आत्मा की शक्तिविशेष को भावयोग कहते हैं। 97. प्रश्न : द्रव्ययोग किसे कहते हैं ? उत्तर : मन, वचन और काय के निमित्त से आत्मा के प्रदेशों का सकम्प होना, सो द्रव्ययोग है।